
दिल्ली। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के शिल्पकार राम वानजी सुतार का गुरुवार देर रात 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सुतार ने अपने जीवन में भारतीय मूर्तिकला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने संसद भवन परिसर में ध्यान मुद्रा में बैठे महात्मा गांधी की मूर्ति और दिल्ली में घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी की मशहूर प्रतिमा भी बनाई।
अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज ने बताया कि 2022 में उनसे मिलना उनके लिए जीवन का विशेष अनुभव रहा। 97 वर्ष की उम्र में भी सुतार रोज स्टूडियो में काम करते थे। योगीराज के अनुसार, उनकी उंगलियों में वही लय थी, जैसी किसी नई मूर्ति को गढ़ते समय होती है। उनका यह दृष्टिकोण कि ‘काम ही पूजा है’, उनके जीवन का मूल मंत्र था।
राम सुतार ने अपने 78 वर्षों के करियर में 1150 से अधिक मूर्तियां बनाई। उनकी पहली मूर्ति 22 साल की उम्र में बनी थी, जो एक बॉडीबिल्डर की थी। जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने गोवा में 77 फीट ऊंची श्रीराम की प्रतिमा तैयार की। उनके बेटे अनिल सुतार के अनुसार, राम सुतार रियलिस्टिक शैली में मूर्तियों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध थे और कठोर पत्थर में भी जीवंतता भर देते थे।
राम सुतार का जीवन सादगी, मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक रहा। कला के प्रति उनका समर्पण और भारतीय शिल्पकला में योगदान उन्हें अमर बना गया। उनकी बनाई मूर्तियां न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीय कला की पहचान बन गई हैं। उनका निधन भारतीय मूर्तिकला के क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनके अवदान से कला जगत सदैव प्रेरित रहेगा।





