3.5 लाख बच्चों के दाखिले और आधार में अड़चन, मैनुअल बर्थ सर्टिफिकेट हुआ अमान्य

बिलासपुर। यूआईडीएआई के नए नियमों के तहत 2021 से पहले बने मैनुअल जन्म प्रमाण पत्र अब आधार कार्ड के लिए मान्य नहीं हैं। केवल क्यूआर कोड वाले डिजिटल प्रमाण पत्र ही स्वीकार होंगे। इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में बच्चों के स्कूल एडमिशन और आधार बनाने की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। आधार के लिए अब पहले क्यूआर कोड वाला जन्म प्रमाण पत्र बनवाना होगा, जो लंबी और तकनीकी प्रक्रिया है।

छत्तीसगढ़ में 2018 से 2020 के बीच 6.16 लाख जन्म प्रमाण पत्र के आवेदन हुए, जिनमें 5.15 लाख जारी हुए। इनमें लगभग 3.5 लाख ग्रामीण क्षेत्रों के मैनुअल प्रमाण पत्र हैं, जिनमें क्यूआर कोड नहीं है। चॉइस सेंटर्स में ऐसे प्रमाण पत्र वाले बच्चों का आधार बनना रुक गया है। 2022 से क्यूआर कोड वाले प्रमाण पत्र बनने शुरू हुए, लेकिन कई पंचायत सचिव अब भी मैनुअल सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं।

हजारों बच्चे पुराने प्रमाण पत्र से स्कूल में दाखिल हुए थे, अब आधार की मांग पर अभिभावक परेशान हैं। मैनुअल प्रमाण पत्र को डिजिटल में बदलना जरूरी हो गया है, लेकिन सर्वर की धीमी गति और तकनीकी अड़चनों के कारण यह प्रक्रिया धीमी है। लोक सेवा प्रबंधक अनित तिवारी का कहना है कि आधार मैनुअल सर्टिफिकेट से भी बन सकता है, लेकिन क्यूआर कोड से सत्यापन आसान होता है। वहीं, सांख्यिकी विभाग के डीपीएसओ केके नेताम के अनुसार 2021 के बाद से सभी नए प्रमाण पत्र क्यूआर कोड के साथ ही बन रहे हैं।

नियमों का सफर

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