
हृदेश केसरी@बिलासपुर। सिम्स मेडिकल कॉलेज में बुनियादी इलाज को लेकर मरीजों को ऑपरेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। चाहे मरीज की हालत गंभीर ही क्यों न हो। अस्पताल में व्हीलचेयर स्ट्रेचर की इतनी कमी है की मरीज को चलकर जाना पड़ता है। खून, यूरीन टेस्ट, सोनोग्राफी और एक्स-रे के लिए मरीज को बाहर जाना पड़ता है, जबकि अस्पताल में सोनोग्राफी, सिटी स्कैन, एक्स-रे मशीन और पैथोलॉजी लैब की सुविधा है। मगर मशीन धूल खा रही है। पैथोलॉजी में किसी प्रकार का टेस्ट नहीं होता है।
सिम्स के डॉक्टर टेस्ट के लिए मरीजों को बाहर रेफर करते हैं। अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम यह है कि बीमार मरीज और बीमार हो जाए। शौचालयों की संख्या में कमी है।
जब कि सिम्स प्रशासन साफ सफाई के लिए प्रति महीना 1 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च कर रही है। सिम्स की बदहाल व्यवस्था को लेकर रविवार को हाईकोर्ट को खोला गया था।
हाईकोर्ट ने अवकाश के दिन भी अखबार के खबर के माध्यम से सिम्स प्रशासन के अधिकारी को तलब किया था और जमकर फटकार लगाई थी। परंतु हाईकोर्ट ने कई बार बुनियादी इलाज को लेकर सिम्स प्रशासन को फटकार लगा चुकी है। मगर इलाज का तरीका ठीक नहीं हो पाया है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी सिम्स की व्यवस्था को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इससे अच्छा तो अस्पताल को बंद कर देना चाहिए।