
बिपत सारथी@पेंड्रा. यह कैसी विडंबना है, और लापरवाह सिस्टम जो जान जोखिम में डालकर परिजन एक गर्भवती महिला को खाट के सहारे नदी पार कराकर प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं, यह तस्वीर शासन प्रशासन के सारे खोखले दावे का पोल खोलते नजर आ रही है। शासन प्रशासन भले ही लाख दावा करे लेकिन तस्वीर आपके सामने हैं,
पूरा मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के अंतिम छोर और गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के सीमावर्ती ग्राम पंचायत कर्री तुलबुल गाँव का है जहाँ क्षेत्र में परिवहन सुविधाओं का बुरा हाल है.रविवार को तुलबुल गांव में एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई, जहां बम्हनी नदी में पुल नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं आ सकती थी. लिहाजा, ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को खटिया पर लाद कर नदी पार कराया. हालाकि नदी पार करते ही 112 की सुविधा पीड़िता को तत्काल मिल सकी। लेकिन कोरबा जिले मे कई ऐसे गाँव है जहाँ सत्ता बदली, सत्ता धारियों के चेहरे बदले, लेकिन हालात आज तक जस का तस बना हुआ हैं. आज भी कई गाँव हैं, जहां की जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इन गाँवों में जनता के लिए भले ही कई योजनाएँ लागू की गई हो, लेकिन शासन-प्रशासन की लापरवाही आए दिन देखने को मिल जाती है. इन इलाकों मे परिवहन व स्वास्थ्य सुविधाओं का सबसे बुरा हाल है जो बारिश के दिनों मे जान सांसत मे डाल देती है. ऐसी ही तस्वीर पोड़ी उपरोड़ा तहसील के ग्राम कर्री (तुलबुल) पंचायत से सामने आई है जिसने सारे सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी है. जहाँ गाँव तक सुगम सड़क मार्ग नहीं होने की वजह से एक प्रसूता को एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल सकी. प्रसूता को बम्हनी नदी पार करके 112 तक पहुंचाया गया तब जाकर उसे एम्बुलेंस से अस्पताल पहुँचाया जा सका.
दरअसल रविवार को कर्री तुलबुल गांव में एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई जिसे अस्पताल ले जाने डायल 112 को फोन किया गया. प्रसूता को पिकअप करने 112 एम्बुलेंस गाँव जाने के लिए निकली. लेकिन गाँव के बाहर एक नदी बहती है जिस पर पुल नहीं बना है. नदी पर पुल नहीं होने के कारण 112 नदी के उस पार नहीं जा सकती थी. लिहाजा ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को खाट पर लाद कर नदी पार कराया. तब जाकर महिला को अस्पताल पहुंचाया जा सका. इस दौरान 112 के कर्मचारियों की तत्परता भी देखने को मिली.