साइको टेस्ट में फेल लोको पायलट को दी गई थी ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी: CRS जांच में खुलासा; 11 यात्रियों की गई थी जान

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। जांच में खुलासा हुआ है कि जिस लोको पायलट को मेमू लोकल ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वह रेलवे के साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो चुका था। इसके बावजूद अधिकारियों ने उसे ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी, जबकि यह टेस्ट पैसेंजर ट्रेन चलाने के लिए अनिवार्य होता है।

4 नवंबर को गेवरारोड के पास मेमू लोकल और मालगाड़ी की टक्कर में 11 यात्रियों की मौत हो गई थी और 20 घायल हुए थे। हादसे की जांच कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) बीके मिश्रा कर रहे हैं। 6 नवंबर को डीआरएम कार्यालय में हुई पूछताछ में उन्होंने एरिया बोर्ड के एससीआर, एआरटी, एआरएमवी इंचार्ज और कंट्रोलर विभाग के अधिकारियों से घंटों सवाल-जवाब किए।

लोको पायलट विद्यासागर पहले मालगाड़ी चलाते थे और हाल ही में उन्हें पैसेंजर ट्रेन के लिए प्रमोशन मिला था। रेलवे के नियमों के मुताबिक, मालगाड़ी से पैसेंजर ट्रेन संचालन में पदोन्नति से पहले साइको टेस्ट पास करना जरूरी है। यह टेस्ट चालक की मानसिक स्थिरता और आपात स्थिति में प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन करता है। अधिकारियों को जानकारी थी कि विद्यासागर यह टेस्ट पास नहीं कर पाए थे, फिर भी उन्हें ड्यूटी पर भेजा गया।

CRS जांच में राहत और बचाव कार्य में देरी को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। एआरटी और एआरएमवी इंचार्ज से मौके पर पहुंचने के समय, संसाधन और कार्रवाई के क्रम में जवाब मांगे गए। घायल लोको पायलट और गार्ड से अस्पताल में बयान लिया जाएगा। रेलवे प्रशासन की इस लापरवाही ने सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे के बाद रेल सेवाएं बाधित हुईं और कई ट्रेनें प्रभावित रहीं।

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