भगवान गणेश के 32 स्वरूपों वाला दुनिया का इकलौता श्रीकांतेश्वर मंदिर

कर्नाटक। कर्नाटक के मैसूर जिले के नंजनगूड में स्थित श्रीकांतेश्वर मंदिर अपनी अनोखी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के परकोटे पर भगवान गणेश के 32 स्वरूपों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। गेहुएं रंग के पत्थर से बनी ये प्रतिमाएं विश्व में अद्वितीय मानी जाती हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार सात मंजिला और 120 फीट ऊंचा है, जिसके भीतर भगवान श्रीकांतेश्वर यानी महादेव की प्रतिमा विराजमान है।

इन 32 स्वरूपों में गणपति को बालक, तरुण, नृत्यरत, योगी, वीर और संकट हरण जैसे रूपों में दर्शाया गया है। इन स्वरूपों का उल्लेख मुद्गल और गणेश पुराण में मिलता है। मंदिर को नंजुदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। कन्नड़ में “नंजु” का अर्थ जहर होता है, इसलिए इसे ‘जहर पीने वाले भगवान शिव का घर’ माना गया है।

मंदिर का निर्माण द्रविड़ स्थापत्य शैली में हुआ है। करीब 50 हजार वर्ग फीट क्षेत्रफल में फैले इस मंदिर में 147 पत्थर के स्तंभ हैं। यहां शिव, गणेश और पार्वती के अलग-अलग गर्भगृह बने हैं। साथ ही 108 शिवलिंग भी स्थापित हैं। मंदिर परिसर का एक खास स्थान ऐसा है, जहां सुबह की पहली सूर्य किरण सीधी अंदर पहुंचती है।

नंजनगूड कपिला (काबिनी) नदी के किनारे स्थित है और इसे “दक्षिण का काशी” भी कहा जाता है। हर साल मार्च-अप्रैल में यहां डोड्डा जत्रा उत्सव मनाया जाता है, जिसमें रथ यात्रा विशेष आकर्षण होती है। चोल राजाओं ने 11वीं शताब्दी में इस मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कराया था। यह मंदिर धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है, जहां भगवान गणेश के 32 अद्वितीय स्वरूप श्रद्धालुओं को विशेष आध्यात्मिक अनुभव कराते हैं।

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