5 जनवरी से शुरू होगा मनरेगा बचाओ आंदोलन: ग्राम पंचायतों में जाकर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करेगी कांग्रेस

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मनरेगा कानून में किए गए संशोधनों के खिलाफ कांग्रेस ने 5 जनवरी से प्रदेशव्यापी “मनरेगा बचाओ आंदोलन” शुरू करने का ऐलान किया है।
इस अभियान के तहत पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर ग्राम पंचायतों में लोगों को मनरेगा में हुए बदलावों और उससे पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी देंगे।
यह फैसला दिल्ली में हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में लिया गया, जिसमें देशभर में इस मुद्दे पर आंदोलन करने का निर्णय हुआ।
प्रदेश कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ की है। कांग्रेस का कहना है कि नए कानून के जरिए काम की कानूनी गारंटी को कमजोर किया जा रहा है, जो इस योजना की सबसे बड़ी ताकत रही है।
पार्टी नेताओं का दावा है कि सरकार 26 दिसंबर से पहले गांव-गांव में ग्राम सभाएं कराकर इन बदलावों को गरीबों के हित में बताने का प्रयास कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि इससे ग्रामीण मजदूरों की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार ने सुनियोजित तरीके से मनरेगा की मांग-आधारित व्यवस्था को कमजोर किया है और रोजगार को बजट व प्रशासनिक फैसलों पर छोड़ दिया गया है।
उन्होंने जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और अग्रिम संगठनों को आंदोलन के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।
कांग्रेस का तर्क है कि भले ही सरकार 100 की जगह 125 दिन रोजगार देने की बात कर रही हो, लेकिन 2023-24 में छत्तीसगढ़ में प्रति परिवार औसतन सिर्फ 52 दिन का ही काम मिला और केवल 14% परिवारों को पूरे 100 दिन का रोजगार मिला।
खेती के मौसम में काम बंद करने और राज्यों पर 40% आर्थिक बोझ डालने जैसे प्रावधानों पर भी पार्टी ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी है कि मनरेगा की रोजगार गारंटी से किसी भी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जरूरत पड़ी तो आंदोलन गांव से लेकर संसद तक चलेगा।





