असम के कमरकुची में बना जुबीन गर्ग का स्मारक स्थल, हर दिन हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे

असम।असम के महान गायक जुबीन गर्ग की 19 सितंबर को सिंगापुर में डूबने से मौत के बाद पूरा राज्य शोक में डूबा है। 23 सितंबर को सोनापुर जिले के कमरकुची गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
अब यही जगह जुबीन के चाहने वालों के लिए “देवालय” बन गई है। गुवाहाटी से 31 किमी दूर इस गांव में हर दिन 5 से 10 हजार लोग उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं।

पिछले 36 दिनों में यहां 5 लाख से अधिक असमिया गमछे चढ़ाए जा चुके हैं। श्रद्धालु 500-800 किमी दूर से भी आ रहे हैं। लोग वही पारंपरिक गमछा पहनते हैं, जिसे जुबीन असम की पहचान मानते थे। इन गमछों पर लिखा है—“जय जुबीन दा”।
धेमाजी की मनीषा मिली गुरुंग ने बताया कि जुबीन ने उनके बीमार बेटे के इलाज के लिए 5.5 लाख दिए थे। उन्होंने कहा, “आज मैं उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करने आई हूं।” गुवाहाटी की मोरोनी राभा बोलीं, “यह अब श्मशान नहीं, एक भक्ति स्थल है, जहां 24 घंटे भजन-कीर्तन हो रहे हैं।”
धुबड़ी से आए मफीजुल हक ने बताया कि जुबीन ने मुसलमान बच्चों की पढ़ाई के लिए ₹10 लाख दान दिए थे। वहीं 70 वर्षीय रूपनाथ कलिता ने कहा, “जुबीन कहते थे मेरी कोई जाति नहीं, कोई धर्म नहीं, मैं मुक्त हूं।”
17 अक्टूबर को राहुल गांधी भी यहां श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। जुबीन का प्रिय गीत “मायाविनी रातिर बुकुत” अब पूरे असम में एक प्रार्थना गीत बन गया है, जिसकी धुन कमरकुची में 24 घंटे गूंजती रहती है।





