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जमीन रजिस्ट्री गाइडलाइन पर विवाद तेज: व्यापारियों के बीच पहुंची कांग्रेस, रायपुर में सार्वजनिक बहिष्कार और आंदोलन की बनी रणनीति

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन रजिस्ट्री की नई गाइडलाइन को लेकर जारी विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। व्यापारी, विपक्ष और आम नागरिक लगातार इस निर्णय के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।

इसी क्रम में बुधवार को कांग्रेस नेताओं की जमीन व्यापारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें रजिस्ट्री के सार्वजनिक बहिष्कार और बड़े आंदोलन की तैयारी पर विस्तृत चर्चा हुई। यह बैठक लगभग दो घंटे चली, जिसमें पूर्व विधायक और पूर्व महापौर प्रमोद दुबे प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

बैठक में प्रमोद दुबे ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि साय सरकार के आने के बाद गलत नीतियों की श्रृंखला शुरू हो गई है, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है। उन्होंने बिजली बिल हाफ योजना और नई रजिस्ट्री गाइडलाइन का उदाहरण देते हुए कहा कि हर निर्णय से जनता को आर्थिक नुकसान हुआ है।

दुबे ने आरोप लगाया कि राजस्व मंत्री ओपी चौधरी ने वित्तीय वर्ष के बीच में गाइडलाइन लागू कर दी, जबकि इसे वर्ष की शुरुआत में लागू किया जाना चाहिए था। इससे किसानों और व्यापारियों पर अचानक अतिरिक्त आर्थिक बोझ आ गया।

उन्होंने कहा कि रमन सरकार के समय बंद की गई छोटी रजिस्ट्री को भूपेश बघेल सरकार ने दोबारा शुरू किया था और जमीन गाइडलाइन में 30% की कमी कर लोगों को राहत दी थी। इसके कारण पांच साल तक भूमि कारोबार स्थिर और संतुलित रहा। लेकिन वर्तमान गाइडलाइन लागू होने से बाजार में अव्यवस्था और असंतोष पैदा हो गया है।

विवाद इतना बढ़ गया है कि सत्ता पक्ष के भीतर भी असहजता दिखने लगी है। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर गाइडलाइन को तुरंत स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर गाइडलाइन में 100% से 800% तक की वृद्धि ने किसानों, छोटे व्यापारियों, रियल एस्टेट सेक्टर और निवेशकों पर सीधी चोट पहुँचाई है।

सांसद अग्रवाल ने इस वृद्धि को “प्रदेश की आर्थिक रीढ़ पर आघात” बताया और कहा कि सरकार का यह दावा गलत है कि इससे किसानों को मुआवजा अधिक मिलेगा, क्योंकि अधिग्रहण में केवल 1% भूमि आती है। उन्होंने पंजीयन शुल्क को फिर से 0.8% करने और पुरानी गाइडलाइन बहाल करने की मांग की है।

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