Chhattisgarh

भंवरदाह के जंगलों में माँ भ्रामरी देवी का दरबार, जंगल के रास्ते पहुंचकर श्रद्धालु कर रहे पूजा अर्चना

गंडई। छत्तीसगढ़ के गंडई से कुछ दूरी पर भंवरदाह के घने जंगलों में एक खास मंदिर है, माँ भ्रामरी देवी का दरबार। यह मंदिर बाकी मंदिरों की तरह भव्य नहीं है, लेकिन श्रद्धा और प्रकृति से जुड़ी इसकी सादगी इसे बेहद खास बनाती है।

पुरानी कथाओं के अनुसार, जब राक्षसों ने धरती पर आतंक मचाया, तब देवी ने अपने शरीर से हजारों मधुमक्खियों (भ्रमरों) को उत्पन्न कर उनका नाश किया। इसलिए उन्हें भ्रामरी देवी कहा जाता है। आज भी इस स्थान की पहाड़ियों में मधुमक्खियों के हजारों छत्ते दिखाई देते हैं, जिन्हें मां की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है।

पीपल के पेड़ के नीचे देवी की मूर्ति

यहाँ कोई ऊँचा शिखर या भव्य गेट नहीं है। सिर्फ एक पीपल का पेड़ और उसके नीचे देवी की मूर्ति, जहाँ भक्त आकर मौन और श्रद्धा से दर्शन करते हैं। यहाँ पूजा किसी चकाचौंध की नहीं, बल्कि भीतर की भावना से होती है। हर साल चैत्र नवरात्रि में यहाँ 101 अखंड ज्योतें जलाई जाती हैं। इस साल ये ज्योतें 10 अप्रैल से जलना शुरू हुईं और 18 अप्रैल को हवन व आरती के साथ विसर्जित की गईं। यह परंपरा पिछले 17 वर्षों से जारी है।

जंगल के अंदर स्थित है मंदिर

यह स्थान गंडई से भड़भड़ी डैम होते हुए जंगल के रास्ते में आता है। रास्ता थोड़ा कठिन है, कहीं पगडंडी, कहीं नदी पार करनी होती है। लेकिन जब आप पहुँचते हैं, तो लगता है मानो शांति और शक्ति एक साथ मिल गई हो। यह स्थान सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का भी है। आसपास प्राचीन मूर्तियाँ, शिलालेख और अवशेष मिलते हैं, जो बताते हैं कि यह इलाका कभी सांस्कृतिक केंद्र रहा होगा।

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