छत्तीसगढ़

कबाड़ से जुगाड़…. पेट्रोल बाइक को बना डाला e-bike …सिंगल चार्ज में 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी बाइक

कमलेश हिरा@कांकेर। कहते हैं “प्रतिभा किसी बेहतर संसाधन या सुविधा की मोहताज़ नहीं होती” इस बात को पखांजूर क्षेत्र के पी.व्ही. 90 (हनुमानपुर) गाँव के युवक तुषार सरकार ने सच कर दिखाया है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से परेशान होकर युवक तुषार ने अपने गाँव के एक व्यक्ति के कबाड़ में पड़े पेट्रोल Bike को जुगाड़ से e-bike में कन्वर्ट कर दिया । तुषार एक किसान परिवार का बेटा हैं और साइंस लेके 12 वीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद आर्थिक परिस्थिति ख़राब होने के चलते आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। तुषार गाँव में ही अपने घर पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सुधारने का काम करता है । बाजार में उपलब्ध e-bike को देखकर तुषार के जहन में आया कि वो भी एक e-bike बना सकता हैं । उसके इस आईडिया में गांव के लोगों ने भी साथ दिया । गांव के ही एक ग्रामीण ने तुषार को कबाड़ में पड़ा अपना पेट्रोल बाइक दे दिया, जिसे तुषार ने अपने दिन रात की मेहनत और हुनर के दम पर e-bike में कन्वर्ट कर दिया ।

सिंगल चार्ज में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है ई-बाईक

तुषार की ये e-bike सिंगल चार्ज में 60 किलोमीटर तक लगभग 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है । इस e-bike में दो से तीन लोग भी सवार हो सकते हैं । अब तक तुषार ने इस e-bike पर 20 से 25 हज़ार रुपये खर्च किये हैं और तुषार का कहना हैं कि इसे पूरा होने में अब और 10 से 15 हज़ार रुपये खर्च हो सकते हैं यानि तुषार की ये e-bike 40 से 45 हज़ार तक में पूरी बनकर तैयार हो जाएगी । तुषार ने बैटरी, मोटर और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ अपने घर पर ही इस e-bike को बना डाला हैं ।

ग्रामीणों के साथ परिवार ने की सहायता

तुषार का कहना है कि उसके इस काम में ग्रामीणों ने , उनके माता-पिता ने और सबसे अधिक उनके दोस्त प्रमोद ने मदद की हैं । हालांकि अभी इस e-bike में काफी कुछ सुधार करना और इस e-bike को फाइनल रूप देना बाकी है फिर भी बेहद कम संसाधनों और सुविधाओं के बीच अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र के एक छोटे से गांव के युवक तुषार ने अपने मेहनत, लगन और हुनर से ये साबित कर दिया हैं कि हुनर किसी बेहतर सुविधा का मोहताज़ नहीं चाहे परिस्थिति कैसी भी हो हुनर अपना रास्ता खुद खोज लेती है ।

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