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दिवाली पर पटाखे फोड़ने को लेकर सुप्रीम-राज्य सरकारों की पहल, बच्चों को त्योहार मनाने दें

दिल्ली। दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली-NCR में पटाखों पर बैन हटाने की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना व्यावहारिक और आदर्श नहीं है, क्योंकि ऐसे प्रतिबंधों का अक्सर उल्लंघन होता है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने इस दौरान कहा कि “बैन कोई स्थायी समाधान नहीं है।”

कोर्ट ने NCR में ग्रीन पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है। सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली-NCR के राज्यों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बच्चों को त्योहार मनाने का मौका मिलना चाहिए, इसलिए पटाखे फोड़ने पर पूरी रोक नहीं लगनी चाहिए।

दरअसल, 2017 से दिल्ली-NCR में पटाखों पर बैन लागू है। शुरुआत में कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी, लेकिन 2018 में पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बावजूद प्रदूषण स्तर में ज्यादा कमी नहीं आई। अब तक दिल्ली सरकार ने 2025 के पूरे साल के लिए भी पटाखों पर बैन जारी रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि इतने सालों के प्रतिबंध के बावजूद क्या वायु गुणवत्ता में कोई सुधार हुआ है। इस पर केंद्र ने कहा कि “प्रदूषण स्तर लगभग वही रहा है, केवल कोविड लॉकडाउन के दौरान ही कुछ सुधार देखने को मिला।”

दिल्ली-NCR राज्यों ने कोर्ट के सामने 8 सुझाव रखे हैं, जिनमें ग्रीन पटाखों को रात 8 से 10 बजे तक फोड़ने की अनुमति, ऑनलाइन बिक्री पर रोक, लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के जरिए बिक्री, और त्योहारों पर सीमित परमिशन शामिल है। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि वे सभी हितधारकों से मिलकर एक व्यावहारिक समाधान लेकर आएं।

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