आपराधिक मामलों में जुर्माना बढ़ाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आपराधिक मामलों में जुर्माने की राशि बढ़ाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, बल्कि इस पर निर्णय लेने का अधिकार विधायिका के पास है।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि अदालत ऐसे मुद्दों पर विचार करने के इच्छुक नहीं है। पीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि यदि उन्हें जुर्माने की राशि बढ़ाने का प्रस्ताव रखना है, तो इसके लिए वे विधायिका से संपर्क करें।

याचिका में दलील दी गई थी कि वर्तमान में कई आपराधिक मामलों में जुर्माने की राशि बेहद कम है, जो आज की परिस्थितियों में अपराध रोकने के लिए प्रभावी नहीं है। हालांकि, अदालत ने इसे नीतिगत मामला बताते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

इस फैसले के बाद स्पष्ट हो गया कि जुर्माने की राशि में बदलाव केवल संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा कानून में संशोधन कर ही संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी दोहराया कि अदालत नीति निर्माण में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

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