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Pegasus spy case की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की बनाई कमेटी, कांग्रेस ने SC के फैसले का किया स्वागत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस जासूसी मामले (Pegasus spy case) में जांच के लिए विशेषज्ञों के तीन सदस्यीय टीम पैनल नियुक्त किया है, , जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को गोपनीयता के उल्लंघन के खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा है कि टेक्निकल कमेटी के सदस्य के तौर पर आईआईटी बाम्बे के प्रोफेसर डॉ अश्विनी अनिल के अलावा विशेषज्ञ डॉक्टर नवीन कुमार और डॉक्टर प्रबाहरण पी. सदस्य सदस्य होंगे।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, “नागरिकों के निजता के अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। उनकी स्वतंत्रता को बरकरार रखने की जरूरत है।”

शीर्ष अदालत इस मामले में आठ सप्ताह बाद सुनवाई करेगी| इस बीच कमेटी को अंतरिम रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

शीर्ष अदालत ने पेगासस जासूसी मामले में विभिन्न जनहित याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

यह मामला इजरायल की एक निजी कंपनी के स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर से भारत के प्रमुख पत्रकारों, वकीलों , कई विपक्षी दलों के नेताओं के फोन के माध्यम से कथित तौर पर उसकी जासूसी करने से जुड़ा हुआ है। याचिका में आरोप लगाया गये गए हैं कि अवैध तरीके से लोगों की बातचीत एवं अन्य जानकारी ली गई है। जो उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस ने कहा कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार से बचने और ध्यान हटाने के कथित प्रयासों को नकार दिया है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता ने रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा, “छद्म राष्ट्रवाद हर जगह कायर फासीवादियों की आखिरी शरणस्थली है।” उन्होंने कहा, “मोदी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ध्यान भटकाने, टालने और ध्यान भटकाने की शर्मनाक कोशिशों के बावजूद स्पाइवेयर पेगासस के दुरुपयोग की जांच के लिए विशेष समिति गठित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत है। सत्यमेव जयते,”

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गौरतलब है कि (Pegasus spy case) पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनेताओं और शास्त्रियों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित जासूसी की रिपोर्टों की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

(Pegasus spy case) एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया था कि पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर थे।

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