आंगनबाड़ियों में करोड़ों की घटिया सामग्री की सप्लाई, मंत्री के जांच आदेश से मचा हड़कंप

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों में घटिया गुणवत्ता की सामग्री की बड़े पैमाने पर सप्लाई का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग की मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कलेक्टर अभिजीत सिंह को तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि जिले की आठ परियोजना इकाइयों के जरिए भारी कमीशन के बदले करोड़ों रुपये की घटिया सामग्री की आपूर्ति कर दी गई।

जानकारी के मुताबिक, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, भिलाई (एक और दो), अहिवारा, धमधा, पाटन और कुम्हारी परियोजना केंद्रों में अनाज कोठी, फर्नीचर, बर्तन, सैनिटरी पैड, वजन मापने की मशीन जैसी जरूरी सामग्री सप्लाई की गई थी। जैसे ही यह सामग्री आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंची, वहां की सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं ने उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए और शिकायतें दर्ज कराईं। शिकायतों के आधार पर उच्च स्तर पर मामला पहुंचने के बाद मंत्री ने जांच का आदेश दिया।

घटिया सामग्री से खुली पोल

जिला परियोजना कार्यालयों से आई रिपोर्ट के अनुसार, कई केंद्रों में भेजे गए फर्नीचर और बर्तनों की गुणवत्ता बेहद खराब थी। हार्पिक जैसी साफ-सफाई की सामग्रियों की गुणवत्ता भी परीक्षण में फेल हो गई। उपयोग से पहले ही सामग्री की उपयोगिता पर सवाल उठने लगे। अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने बिना उचित परीक्षण और मंजूरी के इन सामग्रियों को सप्लाई कर दिया।

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने इस मामले में विशेष जांच टीम गठित कर दी है। उन्होंने विभाग के सचिव को 7 मई को स्पष्ट निर्देश जारी किए कि दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। राज्य स्तर पर रायपुर से लेकर जिला स्तर तक जांच टीमें गठित की जा रही हैं, और रिपोर्ट आने के बाद कठोर कदम उठाए जाएंगे।

कलेक्टर की सख्ती और जिम्मेदारों पर सवाल

दुर्ग के कलेक्टर अभिजीत सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी आरके जामुलकर को सख्त फटकार लगाई है। उन्होंने बिना सहमति सामग्री सप्लाई पर भी सवाल उठाए। जिला प्रशासन अब जिले के सभी 1505 आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्लाई की गई सामग्री का सत्यापन करेगा। साथ ही, सप्लाई की गई सामग्री को प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए भी भेजा जाएगा।

प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि दुर्ग जिले में लगभग 1 से 1.5 करोड़ रुपये की सामग्री की सप्लाई की गई है, जबकि राज्यभर में यह आंकड़ा 40 करोड़ रुपये से अधिक बताया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अभी दो परियोजनाओं की रिपोर्ट आना बाकी है। जांच पूरी होने के बाद कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

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