रवि तिवारी@देवभोग. लोग हमेशा प्राइवेट स्कूल को सरकारी स्कूल से बेहतर बताकर सरकारी स्कूल में कई तरह की कमियाँ खोजकर हमेशा सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते है… ऐसे में जिस व्यक्ति को भी सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था कमजोर नजर आती है… उस व्यक्ति को एक बार ब्लॉक के लदरा गॉव के प्राथमिक शाला को घूमकर देख लेना चाहिए… ज़ब व्यक्ति इस स्कूल से घूमकर लौटेगा.. तो उसके मन में सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को लेकर बनी गलतफहमी पर विराम लग जायेगा… जी हाँ लदरा का प्राथमिक शाला किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है… यहां के सरकारी स्कूल के पुरे दीवारों में ज्ञानवर्धक बातें लिखी गई है.. इतना ही नहीं स्कूल के दरवाज़े पर पहाड़ा और अंक गणित भी लिखा हुआ है…शाला के प्रधानपाठक अवनीश पात्र के मुताबिक स्कूल में बच्चों को ऐसा परिवेश दिया जा रहा है कि उनकी पढ़ाई खेल-खेल में पूरी हो रहीं है.. यहां बताना लाजमी होगा कि प्रधानपाठक के साथ स्कूल में अन्य दो शिक्षक बलराम और महिपाल सिंग है.. तीनों शिक्षक बच्चों को हॅसते गाते ऐसा पढ़ाते है कि बच्चे बेहिचक शिक्षकों के सुर से सुर मिलाकर पढ़ाई में रम जाते है…
बच्चों की रूचि को ध्यान में रखकर बनाया गया है पेंटिंग-: शाला के प्रधानपाठक अवनीश पात्र ने बताया कि छोटे बच्चे बहुत ज्यादा कोमल होते है.. ऐसे में उन्हें खेल-खेल में पढ़ाने के लिए हमने उन्हें आकर्षित करने के लिए उनके हिसाब से एक माहौल तैयार किया है.. जिसके तहत विधालय के पुरे ब्लैक बोर्ड को हाथी और भालू का रूप दिया गया है.. वहीं क्लास रूम के पुरे दीवारों में पेंटिंग से पेड़ों की फोटो बनाकर उसमें अंक गणित, पहाड़ा और छत्तीसगढ़ का राजगीत,फलों के नाम, समय की पूरी जानकारी,गुब्बारे में प्रदेश के पुरे जिलों का नाम, शरीर के पुरे अंगों का इंग्लिश में नाम,महीनों के नाम के साथ ही महापुरुषों की फोटो भी बनाई गई है… वहीं ग्रामीणों की माने तो शाला में बच्चों को ऐसा परिवेश दिया जा रहा है कि वे हर रोज स्कूल जाने को तैयार हो जाते है…
शिक्षक करते हैं पालक सम्पर्क-: सरकारी स्कूल लदरा के तीनों शिक्षकों ने शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता लाने को लेकर हर सम्भव प्रयास करना शुरू कर दिया है…इसी का नतीजा है कि तीनों शिक्षक बारी-बारी से गॉव में छुट्टी के बाद पालक सम्पर्क भी करते है.. शाला के प्रधान पाठक के मुताबिक पालक संपर्क करने का निर्णय इसीलिए लिया गया ताकि बच्चों के पालकों से पता चल सके कि बच्चे की पढ़ाई का लेवल क्या है.. अवनीश बताते है कि पालक सम्पर्क के दौरान पालकों को पर्यावरण के संतुलन को लेकर भी राय दी जाती है.. यह बताया जाता है कि पर्यावरण के संतुलन के लिए रासायनिक खाद का उपयोग कम करे और गौ वर्धक खेती का उपयोग ज्यादा करे… प्रधानपाठक ने बताया कि स्कूल में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक 42 बच्चे दर्ज़ है.. और हर रोज 37 से 38 बच्चे स्कूल पहुंचते है…