राज्यव्यापी अभियान शुरू: आवारा पशुओं से हादसे रोकने 15 किमी तक निगरानी, हाई-रिस्क जोन में फंसेंगे पशु मालिक

रायपुर। राज्य सरकार ने सड़कों पर बढ़ते आवारा पशुओं से होने वाले हादसों को रोकने के लिए राज्यव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया है। परिवहन विभाग ने इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दी है।
अभियान के तहत प्रत्येक जिले में उन इलाकों की पहचान की जाएगी जहां आवारा पशुओं के कारण दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। इन स्थानों को हाई-रिस्क और मॉडरेट-रिस्क जोन के रूप में चिह्नित किया जाएगा।
ऐसे क्षेत्रों में काउ कैचर के माध्यम से सड़कों पर घूम रहे पशुओं को पकड़कर गौशालाओं, गौ अभ्यारण्यों या कांजी हाउस भेजा जाएगा। रात के समय सड़क हादसों से बचाव के लिए प्रमुख मार्गों पर स्ट्रीट लाइटिंग, संकेतक बोर्ड और रेडियम स्ट्रिप्स लगाने की योजना भी शामिल है।
एक माह तक चलने वाले इस विशेष अभियान में पशुपालकों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया, जनसभाओं और शिविरों का उपयोग किया जाएगा। पकड़े गए पशुओं के मालिकों को नोटिस जारी किया जाएगा और जुर्माना या कानूनी कार्रवाई का प्रावधान लागू होगा।
अभियान नगरीय क्षेत्रों के साथ-साथ 10–15 किलोमीटर के दायरे वाले ग्रामीण इलाकों में भी चलेगा। पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग, ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों के सहयोग से कार्रवाई की निगरानी करेगा।
एसओपी के अनुसार, सभी निकायों को हर सप्ताह अभियान की प्रगति रिपोर्ट भेजनी होगी। नागरिक 1033 और 1100 नंबरों पर आवारा पशुओं से जुड़ी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। सरकार का लक्ष्य सड़क हादसों में कमी लाना, पशु कल्याण सुनिश्चित करना और स्थानीय भागीदारी से एक स्थायी समाधान तैयार करना है।





