Startup Success Story: सात कारों से शुरू हुई थी जूम कार, आज 45 मिलियन से ज्यादा की कंपनी
नई दिल्ली। करीब 10 साल पहले दो अमेरिकी दोस्त, डेविड बैक और ग्रेग मोरन एक बार में बैठे हुए थे। दोनों में ही एक बात समान थी, अपना कुछ शुरू करने की इच्छा। बातों ही बातों में दोनों एक बात पर सहमत हुए कि भारत में कोई शॉर्ट टर्म कार रेंटल सर्विस नहीं है।
Startup Success Story: दोनों को ही यह एक मौका दिखा। दोनों ने अपने आस-पास के लोगों से इस बारे में चर्चा की तो ज्यादा सकारात्मक बातें सामने नहीं आईं। लोग कह रहे थे कि भारत में कार स्टेटस सिंबल है। फिर भी कोई बड़ा प्लेअर इस मार्केट में नहीं था, तो डेविड और ग्रेग को भरोसा था कि जूम कार को कामयाबी मिलेगी।
Startup Success Story: इस सोच के साथ, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के ये दो ग्रैजुएट्स 2013 में भारत आ गए। इस तरह के बिजनेस को रजिस्टर कराने के लिए कम से कम 50 कारों का उस व्यक्ति के नाम होना जरूरी है, वो भी तमाम शर्तों के साथ।
Startup Success Story: इस समस्या से निजात पाने के लिए उन्होंने लोकल ऑपरेटिंग ऑनर्स से संपर्क किया। पांच नाम तय किए थे, जिनमें से चार ने साफ मना कर दिया, लेकिन, रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स इसके लिए तैयार हो गया।
Startup Success Story: ग्रेग और डेविड ने 2013 में रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स के साथ बिजनेस शुरू किया। जूम कार को सात कारों के साथ शुरू किया गया। रमेश टूर्स एंड ट्रैवल्स के लाइसेंस को शुरुआती दस महीने तक उपयोग में लिया गया।
2014 में मिला बिजनेस लाइसेंस
Startup Success Story: जनवरी 2014 में डेविड और ग्रेग ने अपनी रकम लगाकर, 50 कारों का इंतजाम कर, बिजनेस लाइसेंस हासिल किया। निवेश करीब सात लाख डॉलर्स का था। बाद में इन्हें वक्त-वक्त पर तगड़ी फंडिंग भी मिलती गई।
Startup Success Story: कुछ साल के सफर के बाद ही आज जूम कार के पास 45 मिलियन डॉलर्स से ज्यादा का निवेश है। महिंद्रा, फोर्ड और टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियों का साथ है। हजारों कारों का बेड़ा इनके पास है और भारत के 40 से अधिक शहरों में यह काम करते हैं। दस लाख से ज्यादा लोगों ने इनकी कारों को अभी तक चलाया है। इस सेक्टर का 60 फीसदी से ज्यादा मार्केट शेयर भी इनके खाते में है।