छत्तीसगढ़गरियाबंद

डॉक्टर डे पर विशेष खबर: झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से एक पैर से हो गए थे दिव्यांग, तो डॉक्टर रेड्डी खुद बन गए धरती के भगवान

रविकांत तिवारी@देवभोग. बचपन में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से सुनील एक पैर से दिव्यांग हो गए थे.. ज़ब धीरे -धीरे बड़े होने के बाद पता चला कि वह एक पैर से दिव्यांग है.. और उन्हें चलने में भी बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है .. तो सुनील ने अपनी इस कमजोरी को ही ताकत बना लिया.. अब यही सुनील धरती के भगवान डॉक्टर सुनील रेड्डी बन गए है..डॉक्टर रेड्डी बाएं पैर से दिव्यांग है, और वे अपने बाएं पैर के घुटने में हाथ रखकर उसी के सहारे चलते-फिरते है.. इतना ही नहीं डॉक्टर रेड्डी हर रोज अपने तय समय पर ड्यूटी में पहुंच जाते है.. अगर ड्यूटी टाइम के अलावा भी कोई मरीज अस्पताल पहुँचकर डॉक्टर सुनील को कॉल करता है तो वो फौरन अस्पताल पहुंच जाते है.. डॉक्टर सुनील का कहना है कि ज़ब हम भगवान से उम्मीद रखते है तो लोग हमसे भी धरती के भगवान के तौर पर उम्मीद रखते है..

बचपन से डॉक्टर बनने का था जूनून -: डॉक्टर सुनील रेड्डी बताते है कि ज़ब वे एक साल के थे, तो उनका तबीयत ख़राब हो गया था.. इस दौरान एक झोलाछाप डॉक्टर ने उनका इलाज करते हुए उन्हें इंजेक्शन लगा दिया था.. इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई.. और कुछ दिनों बाद उनके बाएं पैर ने काम करना बंद कर दिया.. धीरे -धीरे बढ़ते उम्र के साथ डॉक्टर सुनील को यह बात खलने लगी कि यदि बचपन में किसी अच्छे डॉक्टर ने उनका इलाज किया होता तो आज उनका दोनों पैर सही सलामत रहता…इसके बाद सुनील ने ठान लिया कि वे डॉक्टर बनेंगे… और ऐसे झोलाछापों के इलाज से लोगों को दूर करेंगे… यहां बताना लाजमी होगा कि डॉक्टर सुनील ने पहले प्रयास में प्री मेडिकल टेस्ट की परीक्षा में अच्छा रैंक हासिल कर वह डॉक्टरी की पढ़ाई में जुट गए… वह आज देवभोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे है..

माँ ने कहा देवभोग में दो अपनी सेवा -: डॉक्टर सुनील रेड्डी ने बताया कि ज़ब उनकी पोस्टिंग देवभोग में हुई तो लम्बी दुरी होने की वजह से देवभोग आने को लेकर वे सोच में पड़ गए थे.. इस बात को उन्होंने अपनी माँ को बताया.. माँ ने देवभोग का नाम सुनते ही तत्काल वहां जाने को कहा.. डॉक्टर सुनील कहते है कि उनकी माँ ने उनसे कहा कि उनके पिता ने 30 साल तक देवभोग की सेवा की.. ऐसे में ज़ब फिर से बेटे को देवभोग का सेवा करने का मौका मिला है, तो उसे पीछे नहीं हटना चाहिए.. वहीं माँ की बात सुनने के बाद डॉक्टर सुनील ने तत्काल देवभोग आकर ज्वाइन कर लिया.. डॉक्टर सुनील बताते है कि पिता के ड्यूटी के दौरान वे भी गर्मी की छुट्टियों में देवभोग आया करते थे, उसी दौरान देवभोग से उनका एक अलग ही लगाव बन गया था…

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