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जैव चिकित्सा अपशिष्ट का वैज्ञानिक प्रबंधन हमारी सामूहिक जिम्मेदारी: ओ.पी. चौधरी

राज्य स्तरीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न

रायपुर। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 (संशोधित 2021) के प्रभावी अनुपालन व जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से नवा रायपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित वित्त, वाणिज्य कर, आवास एवं पर्यावरण तथा योजना एवं सांख्यिकी मंत्री ओ.पी. चौधरी ने कहा कि जैव चिकित्सा अपशिष्ट का सुरक्षित व वैज्ञानिक निपटान केवल स्वास्थ्य संस्थानों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व है।

उन्होंने कहा कि यह विषय सार्वजनिक स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा है, इसलिए नियमों का कड़ाई से पालन अत्यंत आवश्यक है। मंत्री चौधरी ने स्वास्थ्य संस्थानों से अपील की कि वे नियमों को अच्छी तरह समझें और उनका शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला इसी उद्देश्य के लिए है, जहां संस्थान अपने सुझाव व समस्याएं साझा कर सकें और समाधान पर सामूहिक रूप से कार्य किया जा सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संवाद और सहभागिता से छत्तीसगढ़ जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन में देश का अग्रणी राज्य बनेगा।

आवास एवं पर्यावरण विभाग के सचिव तथा मंडल के अध्यक्ष अंकित आनंद ने कहा कि प्रभावी कार्यान्वयन तभी संभव है जब स्वास्थ्य संस्थान नियमों को गहराई से समझें और सक्रिय रूप से पालन करें। यह कार्यशाला उनकी क्षमता-वृद्धि का महत्वपूर्ण प्रयास है।

मंडल के सदस्य सचिव राजू अगसिमनि ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य संस्थानों में जैव चिकित्सा अपशिष्ट के सुरक्षित पृथक्करण, भंडारण, परिवहन और उपचार की प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना है।

कार्यक्रम में सीपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक अनुप चतुर्वेदी और अधिवक्ता श्री यादवेन्द्र यादव ने तकनीकी व कानूनी प्रावधानों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।

कार्यशाला में प्रमुख अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर्स व विभिन्न स्थानीय निकायों के स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन पर आधारित एक मार्गदर्शिका पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

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