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नाम-जाति और बैंक विवरण में गलती से 17,505 छात्रों की छात्रवृत्ति अटकी, तालमेल की कमी बनी बड़ी परेशानी

रायपुर। प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ पाने की उम्मीद में बैठे हजारों छात्र-छात्राओं की स्कॉलरशिप दो वर्षों से अटकी हुई है।

वर्ष 2023-24 और 2024-25 में कुल 17,505 विद्यार्थी बैंक खातों, नाम, जाति और दस्तावेज़ संबंधी त्रुटियों के कारण छात्रवृत्ति से वंचित रह गए हैं। स्थिति यह है कि चार करोड़ रुपए बैंक खातों में जमा होने के बावजूद छात्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

इनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के छात्र शामिल हैं। कई मामलों में विद्यार्थियों के नाम, जन्मतिथि, जाति या बैंक खाते की जानकारी गलत दर्ज है।

स्कूल प्रबंधन ने इन त्रुटियों को सुधारने के लिए बैंकों से संपर्क किया, लेकिन सहयोग न मिलने से सुधार प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। ऐसे में छात्रों पर दोहरी मार पड़ी—न तो छात्रवृत्ति मिल रही है और न ही त्रुटियों का समय पर समाधान।

वर्ष 2023-24 में प्री-मैट्रिक योजना में 2,66,129 में से 4,409 विद्यार्थियों को त्रुटियों के कारण लाभ नहीं मिल सका। पोस्ट-मैट्रिक श्रेणी में 1,63,799 में से 1,976 छात्र वंचित रह गए।

वर्ष 2024-25 में भी स्थिति समान रही। प्री-मैट्रिक योजना के 2,24,524 में से 7,681 छात्र और पोस्ट-मैट्रिक के 1,41,209 में से 3,439 छात्र बैंक संबंधी गड़बड़ियों के कारण भुगतान से बाहर रह गए।

स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि समस्या का मूल कारण बैंक स्तर पर सुधार की धीमी प्रक्रिया है। अधिकारियों के अनुसार, जैसे ही बैंक खाते में दर्ज गलतियां सुधर जाती हैं, छात्रवृत्ति तुरंत जारी कर दी जाती है। छात्रों और अभिभावकों को बैंक जाकर त्रुटियों को ठीक कराना होगा और उसकी प्रति स्कूल में जमा करनी होगी।

स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा कि विभाग से विस्तृत रिपोर्ट ली जाएगी और सुधार प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि कोई भी छात्र केंद्र व राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं से वंचित न रहे।

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