रायपुर। छत्तीसगढ़ में कई सरकारी विभागों में रिटायर अफसरों की पेंशन 8 से 18 साल तक अटकी हुई है। कोर्ट ने भले ही कुछ मामलों में गाइडलाइन बनाई हो, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संसाधन और आदिम जाति कल्याण जैसे बड़े विभागों में आज भी पेंशन नहीं मिल रही। कुछ मामलों में तो पेंशन 17-18 साल बाद भी शुरू नहीं हुई। स्वास्थ्य विभाग के एक पूर्व संचालक ने इसी महीने मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मिलकर पेंशन न मिलने की शिकायत की, जिससे मंत्री हैरान रह गए।
पेंशन विभाग और विभिन्न जिला मुख्यालयों (रायपुर, महासमुंद, धमतरी) की पड़ताल में पता चला कि कई मामलों में सर्विस बुक गायब होने के कारण कर्मचारी पेंशन के लिए चक्कर काट रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, कोरबा परिवहन विभाग के एक क्लर्क को रिटायरमेंट के 8 साल बाद भी पेंशन नहीं मिली। उसकी सर्विस बुक कोरबा आरटीओ कार्यालय में किसी ने गुम कर दी थी।
स्वास्थ्य विभाग में 2002-03 में लगभग 4.50 लाख के मलेरिया उपकरणों की खरीदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इस मामले में तीन डायरेक्टरों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की; दो जेल गए और एक को अग्रिम जमानत मिली। इस केस के चलते कई वरिष्ठ अफसरों की पेंशन भी अटकी हुई है।
राज्य में कुल पेंशनरों की संख्या 1.45 लाख से अधिक है और हर माह पेंशन भुगतान का बोझ 465 करोड़ रुपये से ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग में 1500 से अधिक पेंशन प्रकरण अटके हुए हैं, जबकि शिक्षा विभाग में लगभग 400 प्रकरण लंबित हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही ने रिटायर्ड कर्मचारियों को उनके हक से वंचित रखा है। सर्विस बुक की गुमशुदगी, भ्रष्टाचार के केस और विभागीय अव्यवस्था के कारण दर्जनों कर्मचारी आज भी पेंशन के लिए चक्कर काट रहे हैं और अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।