दिल्ली। सऊदी अरब के मक्का-मदीना हाईवे पर रविवार देर रात हुई बस-टैंकर भिड़ंत में 45 भारतीय तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। ये सभी उमरा के लिए सऊदी गए थे। तेलंगाना मंत्रिमंडल ने फैसला किया है कि मृतकों को उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार सऊदी अरब में ही दफन किया जाएगा। हर पीड़ित परिवार से दो लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सऊदी भेजे जाएंगे।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि परिजनों को शव भारत लाने या मदीना के जन्नतुल बकी में दफन करने का विकल्प दिया जाएगा, लेकिन सऊदी कानून के मुताबिक शवों की वापसी मुश्किल है। इसके अलावा, तुरंत मुआवजा मिलना भी आसान नहीं है। सड़क दुर्घटनाओं में सऊदी सरकार की ओर से कोई सीधा मुआवजा नहीं दिया जाता। मुआवजा तब ही संभव है जब पुलिस जांच में टैंकर चालक या कंपनी की गलती साबित हो और परिवार कानूनी दावा दायर करे। यह प्रक्रिया महीनों तक चल सकती है।
हादसे के समय बस पूरी तरह से जल गई थी। मक्का से मदीना जा रही बस रास्ते में किनारे खड़ी थी, तभी तेज रफ्तार फ्यूल टैंकर ने इसे पीछे से टक्कर मार दी। हादसा मुहरास के पास मदीना से लगभग 25 किलोमीटर दूर भारतीय समयानुसार रात 1:30 बजे हुआ। मृतकों में 18 महिलाएं, 17 पुरुष और 10 बच्चे शामिल थे।
इस हादसे में सिर्फ 1 व्यक्ति जीवित बचा, जिसकी पहचान मोहम्मद अब्दुल शोएब (24) के रूप में हुई। वह ड्राइवर के पास बैठा था और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। मृतकों में 18 लोग एक ही परिवार के थे, जिनमें 9 बच्चे और 9 बड़े शामिल थे। यह परिवार हैदराबाद का रहने वाला था और 22 नवंबर को भारत लौटने वाला था।
सऊदी हज और उमरा मंत्रालय के नियमों के अनुसार तीर्थयात्रियों को यात्रा शुरू करने से पहले फॉर्म पर साइन करना होता है, जिसमें लिखा होता है कि यदि उनकी मृत्यु सऊदी अरब में होती है, तो शव वहीं दफन किया जाएगा। भारत सरकार के मुताबिक गैर-तीर्थयात्रियों की मृत्यु होने पर कानूनी उत्तराधिकारियों की इच्छा अनुसार शव भारत लाया जा सकता है।
