कर्नाटक में मिली रूसी महिला केस: सुप्रीम कोर्ट ने इजराइली कारोबारी को लगाई फटकार

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गोवा में रह रहे इजराइली बिजनेसमैन डॉर शलोमो गोल्डस्टीन को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि जब उसकी कथित पत्नी और दो बेटियां कर्नाटक के जंगल में गुफा में रह रही थीं, तब वह गोवा में क्या कर रहा था? जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने यह भी सवाल उठाया कि क्या उसके पास भारत में रहने के वैध दस्तावेज हैं।
यह मामला तब सामने आया जब 11 जुलाई को कर्नाटक के कुमटा के जंगलों में पुलिस को रूटीन पेट्रोलिंग के दौरान 40 वर्षीय रूसी महिला नीना कुटीना और उसकी दो बेटियां मिलीं। तीनों बिना वैध दस्तावेजों के भारत में रह रही थीं, जिसके बाद उन्हें तुमकुर के विदेशी महिलाओं के डिटेंशन सेंटर में भेजा गया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 26 सितंबर को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि महिला और उसकी बेटियों को रूस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
इसी आदेश के खिलाफ गोल्डस्टीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बच्चियों की कस्टडी मांगी और रूस भेजे जाने की प्रक्रिया रोकने की मांग की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उससे पूछा, “आप कौन हैं? कोई दस्तावेज दिखाइए जो साबित करे कि आप बच्चियों के पिता हैं, वरना हम आपको डिपोर्ट कर सकते हैं।”
नीना कुटीना ने स्पष्ट कहा कि गोल्डस्टीन उसका पति नहीं है। उसने बताया कि दोनों की कभी शादी नहीं हुई और न ही उसके बच्चे गोल्डस्टीन के हैं। कुटीना ने आरोप लगाया कि गोल्डस्टीन उसे और उसके बच्चों को लगातार परेशान कर रहा है। उसने कहा, “वो अमीर परिवार से है और मनचाही चीजें पाने का आदी है। उसकी जिद ने हमारी जिंदगी बर्बाद कर दी है।” कोर्ट अब यह तय करेगा कि बच्चियों की कस्टडी किसे मिलेगी और क्या गोल्डस्टीन को भारत में रहने की अनुमति दी जा सकती है।