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दुर्ग जिले में शिक्षकों की असमान पोस्टिंग से प्रभावित हो रही ग्रामीण शिक्षा, युक्तियुक्तकरण की आवश्यकता पर ज़ोर

रायपुर। छत्तीसगढ़ दुर्ग जिले में शिक्षकों की असंतुलित पदस्थापना के कारण ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और परीक्षा परिणाम बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की अधिकता और ग्रामीण क्षेत्रों में भारी कमी से शैक्षणिक असंतुलन उत्पन्न हो गया है।

धमधा विकासखंड के शासकीय हाई स्कूल मुरमुदा में स्वीकृत 6 पदों के विरुद्ध केवल 3 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि कक्षा 10वीं के 63 छात्रों का परीक्षा परिणाम महज 47.62 प्रतिशत रहा। सिलितरा और बिरेझर के हाई स्कूलों में तो हालात और भी खराब हैं, जहां एक भी व्याख्याता नहीं है। यहां क्रमशः 81 और 63 छात्र पढ़ते हैं, लेकिन परीक्षा परिणाम 36.59% और 35% ही रहा।

इसके विपरीत, शहरी स्कूलों में शिक्षकों की अतिरिक्त नियुक्ति सामने आई है। केम्प-1 मिलाई स्कूल में 225 छात्रों के लिए 7 स्वीकृत पदों की तुलना में 17 शिक्षक कार्यरत हैं। इसी तरह नेहरू प्राथमिक शाला दुर्ग में 113 छात्रों के लिए 11 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि स्वीकृत पद केवल 4 हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने सुझाव दिया है कि युक्तियुक्तकरण कर शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यकतानुसार की जाए ताकि ग्रामीण छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और परीक्षा परिणाम में सुधार हो।

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