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कोरबा

Korba: हंसिया, टंगिया उठाकर महिलाओं ने कहा …छीनकर रहेंगे रोजगार का अधिकार, गेवरा ऑफिस पर भूविस्थापितों का घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन

 

बांकी मोंगरा (कोरबा)। बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले रोजगार देने के एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है।उन्होंने 30 जून से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा की है। दिन-रात चलने वाले इस घेराव में उन्होंने ऐलान किया है कि उनका आंदोलन तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। इस आंदोलन की तैयारियां भी आज से शुरू हो गई है।

इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए आज छत्तीसगढ़ किसान सभा, जनवादी नौजवान सभा तथा रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल की खदानों से प्रभावित गांवों, भू विस्थापित किसानों और ग्रामीणों की एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 20 गांवों के लोगों ने हिस्सा लिया। बैठक में कल से पर्चा, पोस्टर और नुक्कड़ सभाओं के साथ विस्थापन प्रभावित 50 गांवों में अभियान चलाने और ग्रामीणों से संपर्क करने का फैसला लिया गया तथा “हर घर से दो लोगों को घेराव में शामिल होने” की अपील की जाएगी। बैठक की अध्यक्षता जवाहर सिंह कंवर, सुराज सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, देव कुंवर, राजकुमारी बिंझवार, देवेंद्र कंवर, राधेश्याम कश्यप, दामोदर श्याम तथा रेशम यादव ने की।

बैठक को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद कांग्रेस-भाजपा की किसी भी सरकार ने और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली। आज भी हजारों भूविस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एसईसीएल ने अपने मुनाफे का महल किसानों और ग्रामीणों की लाश पर खड़ा किया है। माकपा इस बर्बादी के खिलाफ भूविस्थापितों के चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी है।

किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक आदि ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, बसावट, पुनर्वास गांव में पट्टा, किसानों की जमीन वापसी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है और उनके साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए किसान सभा और अन्य संगठनों को मिलकर संघर्ष तेज करना होगा, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके।

रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष राधेश्याम, रेशम और नौजवान सभा के दामोदर श्याम बैठक में कहा कि भूविस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

बैठक के बाद महिलाओं ने खेती-किसानी के पारंपरिक औजार हँसिया और टंगिया को हाथों में लेकर एसईसीएल के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि अब रोजगार का अपना अधिकार वे छीनकर ही मानेगी।

बैठक में प्रमुख रूप से सत्रुहन, नोहर, अमरजीत, हरीश कंवर, संजय, रघु,पुरषोत्तम, रामायण सिंह, देव कुंवर, जान कुंवर, गणेश कुंवर, यशोदा, शशि, संतोषी, रघु, बलराम, मोहनलाल, सनत, दीना, सुमेन्द्र सिंह, अनिल, गणेश, नरेंद्र, हरिशंकर, मेहत्तर, कृपाल आदि के साथ सैकड़ों भू विस्थापित किसान उपस्थित थे।

घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन की प्रमुख मांगों में पुराने-नए रोजगार के सभी लंबित प्रकरणों का निराकरण करने, शासकीय भूमि पर कब्जाधारियों को भी मुआवजा और रोजगार देने, पूर्व में अधिग्रहित जमीन को मूल किसानों को वापस करने, भूमि के आंशिक अधिग्रहण पर रोक लगाने, आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100% रोजगार देने, विस्थापन प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को उत्खनन कार्यों का प्रशिक्षण देने, महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने, पुनर्वास गांवों में बसे भूविस्थापित परिवारों को काबिज भूमि का पट्टा देने,

गंगानगर में एसईसीएल द्वारा तोड़े गए मकानों, शौचालयों का क्षतिपूर्ति मुआवजा देने, डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव में किसानों को हुये नुकसान का मुआवजा देने, बांकी माइंस की बंद खदान से किसानों को सिंचाई और तालाबों को भरने के लिए पानी देने, पुनर्वास गांवों में बुनियादी मानवीय सुविधाएं मुफ्त उपलब्ध कराने, भू विस्थापित परिवारों को निशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं तथा स्कूल बसों में फ्री पास उपलब्ध कराने और भठोरा के चौथे चरण 2016-17 से मकानों एवं अन्य परिसंपत्तियों का लंबित मुआवजा तत्काल देने की मांगें शामिल हैं।

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