ChhattisgarhStateNews

शिक्षा का अधिकार अधिनियम शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का आधार

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राथमिक शिक्षा के युक्तियुक्तकरण को लेकर उठ रही भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा है कि शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का आधार अब शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 है। शिक्षा विभाग ने विभिन्न शैक्षिक संगठनों के सवालों और आलोचनाओं का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, शिक्षकों के संतुलित वितरण को सुनिश्चित करने तथा अधिनियम के पालन के लिए की जा रही है।

शिक्षा विभाग के अनुसार, वर्ष 2008 के पुराने स्कूल सेटअप की अब प्रासंगिकता नहीं रह गई है। उस समय विद्यालयों में प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षकों की व्यवस्था थी, जो तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुसार थी। लेकिन 1 अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू शिक्षा का अधिकार अधिनियम ने नए मानक स्थापित किए हैं। अधिनियम के तहत 60 छात्रों तक के लिए दो शिक्षक निर्धारित हैं और 150 से अधिक छात्रों वाले विद्यालयों में ही प्रधान पाठक की नियुक्ति होती है। चूंकि छत्तीसगढ़ के कई स्कूलों में पहले से प्रधान पाठक के पद स्वीकृत थे, उन्हें सहायक शिक्षक की संख्या में जोड़ा गया है।

शिक्षा विभाग ने बहुकक्षा शिक्षण के महत्व पर भी जोर दिया है। विभाग ने बताया कि अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में औसतन दो कक्षाएं ही होती हैं और अधिनियम के अनुसार 60 छात्रों तक दो शिक्षक रखना अनिवार्य है। इसलिए शिक्षकों को बहुकक्षा शिक्षण का प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे एक साथ कई कक्षाओं को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें। आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य के लगभग 30,700 प्राथमिक विद्यालयों में से 17,000 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 20 से भी कम है, जो शिक्षक संख्या पर्याप्त होने का प्रमाण है।

शिक्षा विभाग ने 60 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को लेकर फैली भ्रांतियों को भी निराधार बताया है। कुछ संगठनों ने दावा किया था कि 20,000 से अधिक ऐसे स्कूल एकल-शिक्षकीय हो जाएंगे। विभाग ने स्पष्ट किया कि इनमें दो शिक्षकों की व्यवस्था है, जिसमें प्रधान पाठक भी शामिल हैं, अतः यह कहना गलत होगा कि ये स्कूल एक शिक्षक पर निर्भर रहेंगे।

शिक्षा विभाग ने दोहराया कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या घटाना नहीं, बल्कि उनकी तैनाती को संतुलित और तर्कसंगत बनाकर सभी विद्यार्थियों को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मानकों से कम न हो।अंत में शिक्षा विभाग ने कहा कि यह युक्तियुक्तकरण न केवल कानूनी मानकों पर आधारित है, बल्कि इससे राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था और अधिक प्रभावी, समान और गुणवत्तापूर्ण बनेगी। विभाग ने आमजन और शैक्षिक संगठनों से भी इस प्रक्रिया को समझने और सहयोग देने का आग्रह किया है ताकि छत्तीसगढ़ में शिक्षा का स्तर बेहतर बनाया जा सके।

Related Articles

Back to top button