
अंकित सोनी@सूरजपुर। कॉलेज के प्रोफेसर बुधलाल दिव्यांगों के लिए मिसाल हैं। उन्होंने अपने जीवन में तमाम कठिनाईंयों को झेलते हुए प्रोफेसर की नौकरी प्राप्त की। वे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनके लिए एक मिशाल भी हैं जो बहाने बनाते हैं।
बुधराम जन्म से ही नेत्रहीन हैं। बावजूद इसके उन्होंने अपनी नेत्रहीनता को अपनी कमजोरी बनाने की बजाय अपनी ताकत में तब्दील कर लिया। बचपन में ही उनके सर से पिता का साया उठ गया था। गांव के एक गरीब मां के साथ दोनों आंख से अंधा बच्चा।
जिंदगी आसान नहीं थी। लोग बुधराम और उसकी मां को भीख मांग कर गुजारा करने की सलाह दिया करते थे। ऐसी कई समस्याएं इस सहायक प्रोफेसर के जिंदगी मैं आईं, लेकिन इन्होंने सभी चुनौतियों का सामना करते हुए आज दूसरों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। आज बुधराम अपनी जिंदगी सामान्य रूप से जी रहे हैं। आज उनके परिवार में इनकी बूढ़ी मां के साथ इनकी पत्नी और बच्चे भी हैं।
अन्य प्रोफेसर की तरह ही सामान्य रूप से बच्चों को पढ़ाते हैं
वहीं कॉलेज के अनुसार बुधराम अन्य प्रोफेसर की तरह ही सामान्य रूप से उन्हें पढ़ाते तो हैं ही, छात्रों के लिए वह प्रेरणा स्रोत भी हैं। छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ ही जिंदगी में चुनौतियों से लड़ने की भी तालीम मिलती है। सभी छात्र बुधराम का काफी सम्मान करते हैं।