मेकाहारा में रेयर मेडियास्टाइनल जर्म सेल ट्यूमर का सफल इलाज, 4 घंटे की हाई-रिस्क सर्जरी से बची 29 वर्षीय युवक की जान

रायपुर। राजधानी के डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय (मेकाहारा) में कैंसर सर्जरी विभाग ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने छाती के बेहद दुर्लभ और जटिल कैंसर मेडियास्टाइनल जर्म सेल ट्यूमर का सफल इलाज कर 29 वर्षीय युवक की जान बचाई। यह कैंसर लाखों में एक-दो लोगों को ही होता है और इसका इलाज अत्यंत जोखिम भरा माना जाता है।
मरीज छाती में गांठ, सांस लेने में परेशानी और लगातार दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंचा था। कैंसर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि मरीज का प्रारंभिक इलाज एम्स रायपुर में चल रहा था, जहां बायोप्सी जांच में मेडियास्टाइनल जर्म सेल ट्यूमर की पुष्टि हुई।
छाती के मध्य भाग में स्थित गांठ का आकार करीब 13×18×16 सेंटीमीटर था, जो हृदय के पास बड़ी रक्त नलियों से चिपकी हुई थी। जोखिम को देखते हुए पहले कीमोथेरेपी दी गई।
जनवरी से जून 2025 के बीच मरीज को 6 चक्र कीमोथेरेपी दी गई, जिससे गांठ का आकार घटकर 4×3×4 सेंटीमीटर रह गया। इसके बाद मरीज को मेकाहारा रेफर किया गया। सभी रिपोर्ट्स का गहन परीक्षण करने के बाद सर्जरी का निर्णय लिया गया।
हृदय सर्जरी और निश्चेतना विभाग से परामर्श के बाद करीब 4 घंटे तक चली हाई-रिस्क सर्जरी में गांठ को बाएं फेफड़े के एक हिस्से सहित पूरी तरह निकाल दिया गया। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और कुछ दिनों के इलाज के बाद मरीज को स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई। फिलहाल वह नियमित फॉलोअप में है।
इस जटिल ऑपरेशन में डॉ. आशुतोष गुप्ता के साथ डॉ. के. के. साहू, डॉ. किशन सोनी, डॉ. गुंजन अग्रवाल, डॉ. सुश्रुत अग्रवाल, डॉ. समृद्ध, डॉ. लावण्या, डॉ. सोनम और डॉ. अनिल की अहम भूमिका रही।
विशेषज्ञों के अनुसार मेडियास्टाइनल जर्म सेल ट्यूमर एक दुर्लभ कैंसर है, जो प्रायः 20 से 40 वर्ष के युवाओं में पाया जाता है। समय पर पहचान और सही इलाज से इसकी पांच वर्षीय सर्वाइवल रेट 90 प्रतिशत से अधिक बताई जाती है।





