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छत्तीसगढ़

जनपद पंचायत की राजनीति में बढ़ी रार, जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने एक दूसरे के खिलाफ लगाया आरोप-प्रत्यारोप,15 सदस्यों ने उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास के लिए सौंपा कलेक्टर को आवेदन

रविकांत तिवारी@देवभोग। देवभोग जनपद पंचायत की राजनीति इन दिनों उबाल मार रही है.. जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने खुलकर एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया है.. इसी क्रम में मंगलवार को जनपद उपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने जनपद अध्यक्ष और सीईओ पर सात बिंदुओं पर आरोप लगाते हुए जाँच के लिए कलेक्टर को आवेदन सौंपकर पद से त्याग पत्र सौंप दिया है..सुखचंद ने कलक्टर से जाँच की मांग की है.. सुबह जनपद उपाध्यक्ष के आवेदन के बाद उसी दिन शाम को जनपद अध्यक्ष 15 सदस्यों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन लेकर जनपद उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव किये जाने की मांग को लेकर कलक्टर को ज्ञापन सौंपा.. जनपद अध्यक्ष और अन्य सदस्यों ने उपाध्यक्ष की कार्यप्रणाली से नाराज होकर अविश्वास के लिए आवेदन सौंपने की बात कही…

उपाध्यक्ष ने लगाया गंभीर आरोप-: जनपद उपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने कलक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में जनपद अध्यक्ष और सीईओ पर गंभीर आरोप लगाकर जाँच के लिए मांग किया है.. जनपद उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि देवभोग जनपद पंचायत में लगातार विभिन्न मदों की राशि में फ़र्ज़ी बिल के सहारे आर्थिक अनियमितता किया जा रहा है..उन्होंने सीधा आरोप जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल पर लगाते हुए आवेदन में जिक्र किया है जनपद अध्यक्ष के इशारों पर जनपद सीईओ काम कर रहे है..

जनपद का भर्राशाही रोकने में हूँ नाकाम..इसीलिए दे रहा हूँ इस्तीफा-: कलक्टर को सौंपे गए आवेदन में बेसरा ने जिक्र किया है कि मैं कांग्रेस पार्टी का एक जिम्मेदार सिपाही होने के साथ ही देवभोग जनपद पंचायत का निर्वाचित उपाध्यक्ष हूँ…चुंकि अध्यक्ष भाजपा समर्थित है..उनकी मंशा सरकार की छवि को धूमिल करने की है..इसीलिए उनके द्वारा अपने पद एवं प्रभाव का दुरूपयोग कर अपने पति के फर्म तिरुपति ज्वेलर्स व बालाजी फर्म के अलावा ड्राइवर, नौकर व अन्य परिचित का बिल लगवाकर लाखों की राशि आहरण करआर्थिक अनियमितता को अंजाम दिया जा रहा है..सुखचंद ने आवेदन में आगे लिखा है कि जनपद में चल रहे भर्राशाही को रोकने के लिए मेरे द्वारा लगातार विरोध किया जाता है,मेरे विरोध के चलते ही मुझे पद से उतारने की धमकी दिया जाता है..जनपद के ज्यादात्तर सदस्य भाजपा समर्थित है..जिन्हें अध्यक्ष और उनके सपोटर के द्वारा गुमराह किया जाता है..जिसके चलते अन्य सदस्य इस अनियमितता के खिलाफ आवाज नहीं उठाते, और मनचाहा प्रस्ताव पारित करवा लिया जाता है..जनपद के योजनाओं में लगातार किये जा रहे गड़बड़ी से सरकार की छवि धूमिल हो रही है,जिसे जाँच कर रोका जाना आवश्यक है..

व्यवसायिक परिसर के दुकान आवंटन में जमकर हुआ अनियमितता-: जनपद उपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने कलक्टर को दिए गए आवेदन में जिक्र किया है कि जनपद विकास निधि की राशि से बनाये गए व्यवसायिक परिसर के निर्माण से लेकर उसके दुकान आवंटन तक जमकर अनियमितता की गई है..सुखचंद के मुताबिक सामुदायिक भवन के पुराने दीवार पर परिसर खड़ा कर मूल्यांकन किया गया है..आवंटन में 5वें नंबर की दुकान जो कि लिलम ध्रुव को दिया गया है..जो कि जनपद पंचायत के मनरेगा शाखा में सहायक ग्रेड 3 के पद पर पदस्थ है..एवं 8 नंबर की दुकान कृतिका मरकाम को आवंटित किया गया है..जो कि जनपद पंचायत में पदस्थ पालेश्वर मरकाम की पत्नी और जनपद सीईओ की बेटी है..उपाध्यक्ष के आरोप के मुताबिक बगैर रेट कंट्रोलर के अभिमत के किराये का दर बाजार भाव से ज्यादा तय किया गया..हद तो तब हो गई ज़ब इस परिसर के किरायेदार से पगड़ी के रूप में 30 से 40 हजार रूपये नगद लिया गया..उपाध्यक्ष के मुताबिक उन्होंने उसी दौरान उसका विरोध किया लेकिन जनपद अध्यक्ष ने सब कुछ जानते हुए प्रस्ताव पारित करवा दिया..

पद का दुरूपयोग कर लगाया वाहन-: जनपद उपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने आरोप लगाया है कि मनरेगा कार्य निरीक्षण के नाम पर स्कार्पियो वाहन किराये पर लगाया गया है..जो जनपद अध्यक्ष के ज्वेलरी पर काम करने वाले कर्मी के नाम पर है..निविदा प्रक्रिया में हेर फेर कर जनपद अध्यक्ष के द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर वाहन लगाया गया है..वहीं उस वाहन का भुगतान मनरेगा में विधिवत करने के बजाय जनपद के अन्य मदों से नियम विरुद्ध किया जा रहा है..बेसरा ने आरोप लगाया कि इससे पहले के कार्यकाल में भी इसी तरह वाहन के आड़ में जनपद मद का भारी दुरूपयोग किया गया…

फ़र्ज़ी बिल लगाकर एक करोड़ की राशि का गबन-: जनपद उपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने आवेदन में जिक्र किया है कि जनपद विकास निधि,15वें वित्त मद की कंटीजेंसी राशि,विधायक, सांसद मद की बचत राशि, जनपद स्टाम्प शुल्क उपकर एवं ब्याज की राशि का लगभग एक करोड़ की राशि का गबन फ़र्ज़ी बिल लगाकर किया गया है..सुखचंद के मुताबिक स्टेशनरी,वाहन, डीजल के अलावा अन्य कम बजट के मरम्मत व साज-सज्जा के कार्य में खर्च दिखाकर रूपये का गबन किया गया है..इतना ही नहीं जनपद में पदस्थ आरईएस विभाग के उपयंत्री को तक कार्य एजेंसी दर्शाकर उसके नाम पर राशि का भुगतान किया गया है…

पति का बिल लगाकर पद का कर रही दुरूपयोग -: जनपद उपाध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने आवेदन में जिक्र किया है कि जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर जनपद मद एवं मनरेगा योजनाओं के तहत ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में आवंटित कार्यों में उन फर्मो का बिल लगवाया गया है..जिसमें प्रोपाइटर जनपद अध्यक्ष के पति दीपक सिंघल है..यह कृत्य पंचायती राज अधिनियम के तहत पद के दुरूपयोग की श्रेणी में आता है..जनपद उपाध्यक्ष ने मांग किया है कि जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल के कार्यकाल में उनके पति दीपक सिंघल के फर्मो को जनपद एवं पंचायतों में किये गए समस्त भुगतान की बारिकी से जाँच किया जाये एवं अध्यक्ष के विरुद्ध धारा 40 की कार्रवाई करने की मांग की गई है…

मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे उपाध्यक्ष-: जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल ने कहा कि मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप निराधार और तथ्यहीन है.. जनपद उपाध्यक्ष मुझे बदनाम करने के लिए झूठा आरोप लगा रहे है… वहीं जनपद अध्यक्ष से हमारे प्रतिनिधि ने सात सवालों का बारी बारी से जवाब लिया… पहले आरोप पर जनपद अध्यक्ष ने कहा कि व्यवसायिक परिसर और सामुदायिक भवन अलग -अलग जगह पर बना है.. सामुदायिक भवन से व्यवसायिक परिसर की दूरी 50 कदम है.. व्यवसायिक परिसर मेन रोड से लगकर बना है.. दूसरी बात हमने आरक्षण बेस पर जो नियम होता है.. जनपद सीईओ ने निकाला था.. उसी के आधार पर दुकान का आवंटन किया गया है.. वो भी लौटरी सिस्टम में ओपन किया गया है.. जिसमें स्वयं उपाध्यक्ष के द्वारा सारी चीज़े निकाली गई थी.. वो हमको बोल नहीं सकते कि हमने गलत किया है या दवाब डाला है.. क्यों कि चीट उपाध्यक्ष ने निकाला था.. वे खुद सामने बैठे थे.. करवाने वाले भी वहीं थे.. हस्ताक्षर भी उनका रजिस्टर में है.. जिसमें प्रस्ताव हुआ है.. दूसरी बात जो लीलम ध्रुव और कृतिका मरकाम की जो बातें सामने आ रही है.. फॉर्म कोई भी भर सकता था.. दोनों ने भरा.. लेकिन ज़ब पता तो दोनों ने दुकान को छोड़ दिया.. उन्होंने दुकान वापस भी कर दिया.. दुकान अभी खाली है.. जहाँ तक पगड़ी की राशि है, इसे सभी ने मिलकर तय किया है.. इतना पगड़ी लेकर हमें जनपद में रखना है.. और वह जनपद में जमा है.. जो भी किराया देंगे या पगड़ी की राशि जमा करेंगे उन्हें जनपद से रशीद दी जायेगी.. जिस दिन वे दुकान छोड़ेंगे उन्हें पगड़ी की राशि वापस दी जायेगी… दूसरे बिंदु के आरोप पर कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी के यहां कार्य करता है.. वो अपने पर्सनल लाइफ में और भी काम कर रहा है या अन्य व्यापार कर रहा है तो उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता.. यदि मेरे दुकान में काम करने वाला व्यक्ति अपना गाड़ी कहीं लगाया है तो वह उसके आय का साधन है.. इसीलिए वह ऐसा कर रहा है.. दूसरी बात जो निविदा प्रक्रिया है.. उसको अधिकारी कर्मचारी पूरा करते है.. जैसे जनपद उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया था, तो हमने भी जानकारी लिया था, उस दौरान अधिकारी ने कहा था कि पूरी प्रक्रिया के तहत हमने उस गाड़ी को लगाया था.. वह नई गाड़ी है पुरानी गाड़ी नहीं है.. तीसरे बिंदु पर जनपद अध्यक्ष ने कहा कि आरोप झूठा है.. जनपद अध्यक्ष का कहीं हस्ताक्षर नहीं लगता.. ना ही चेक में और ना ही नोटशीट में.. सीईओ के साथ कोई जॉइंट हस्ताक्षर नहीं है.. दूसरा विवेकानंद युवा प्रोत्साहन योजना की राशि जिला से कार्ययोजना बनाकर मंगवाई गई थी… कार्ययोजना के आधार पर वो राशि आई थी.. सम्बन्धित अधिकारी उसी कार्ययोजना के आधार पर राशि का व्यय किये है.. मेरे किसी भी परिचित अग्रवाल बंधु या फिर किसी भी परिचित के नाम से बिल नहीं कटवाया है… चौथे बिंदु के आरोप पर कहा कि जनपद अध्यक्ष ने कहा कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे.. ये कहावत यहां पर सटीक बैठती है.. मैंने अपने क्षेत्र में कहीं पर कोई मुरम का काम नहीं किया है.. जो भी मुरम का काम दिया गया है..15वें वित्त और जनपद विकास निधि कि राशि से उपाध्यक्ष ने ही मुरम का काम करवाया है.. जैसे देवभोग में हाउसिंग बोर्ड में तीन शेड और मुरम का काम हुआ है.. उन्होंने वहां पर 10 या 20 हजार का मुरम का काम करवाकर दवाब डालकर पूरा पैसा निकलवा लिए है.. लेकिन वहां मुरम का काम नहीं हुआ है.. आप भी वहां जाकर फोटो ले सकते है.. उन्होंने जगह-जगह मुरम का काम करवाया है.. वे हमेशा बोलते थे कि 15वें वित्त से और जनपद के विकास निधि से मुरम दो.. क्यों हम मुरम देंगे और भी तो विकास कार्य है.. खाली मुरम डालने से क्या विकास होगा.. हम उनका इसी बात को लेकर विरोध करते थे.. ज़ब भी उनके क्षेत्र के लिए काम का आवंटन करते थे, तो वे मुरम का काम लिए… मैंने कहीं कोई मुरम का काम नहीं किया है.. और ना ही 15वें वित्त में मेरे पति का बिल मुरम काम में लगा है.. वहीं पांचवें सवाल के जवाब पर कहा कि इस आरोप का जवाब अधिकारी देंगे.. ये हमारा मामला नहीं है.. राशि के आय और व्यय की जानकारी अधिकारी ही दे पाएंगे.. वहीं अगर उपाध्यक्ष को जानकारी थी तो वो तीन साल से क्यों चुप बैठे थे.. बैठकों में ज़ब हस्ताक्षर करते थे, तो क्यों बैठक में इन बातों को उन्होंने नहीं उठाया.. क्यों अपने नेता, मंत्री और कलक्टर से तीन सालों तक शिकायत नहीं किया.. वहीं छठवें सवाल पर उन्होंने कहा कि देखिये मेरे पति एक व्यापारी है.. और रजिस्टर्ड जीएसटी का फर्म है उनका.. व्यापार के चलते जो उनसे सामान क्रय करता है.. उनको ये बिल देते है.. जीएसटी पेड करके सामान लाते है.. सामान खरीदने वाले को बिल देना अनिवार्य है.. चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो.. चाहे हो सरपंच हो, सचिव हो या आम आदमी हो.. वहां मेरा कोई जॉइंट हस्ताक्षर नहीं है.. और ना ही जनपद में बिल लगा है..हमने किसी काम में जनपद में बिल नहीं लगाया है.. यह आरोप गलत है.. रहा सवाल मनरेगा का.. वहां भी मेरे पति का बिल हम नहीं लगाते.. जो हमसे सामान खरीदता है, उसी को बिल देते है.. सामान दिए है तो पैसा भी लेंगे… सातवां सवाल के जवाब में कहा कि देखिये आप भी जानते है सोलर और सेनेटाईजर का शिकायत पहले भी हुआ था.. जाँच हुई है.. कोरोना काल में सेनेटाईज़र मिल नहीं रहा था.. उस समय तात्कालिक सीईओ और एसडीएम के कहने के आधार पर सेनेटाईजर व्यवस्था करके लाया गया था.. जो भी सेनेटाईजर लाके बेचा गया था, वो भी रजिस्टर्ड है.. जीएसटी में.. सेनेटाईजर लाके सबको दिया गया था.. लाखों की बात गलत है.. कहीं 10 हजार तो कहीं15 हजार का दिया गया था..कोरोना उस समय इतना फैला था कि पुरे गॉव को सेनेटाईज करना पड़ता था.. प्रवासी मजदूर जहाँ रहते थे, वहां सेनेटाईज करना पड़ता था, आठ से दस दिन उनको वहां रखना पड़ता था.. इस दौरान कनटेंनमेन्ट जोन बनता था, उसे देखते हुए बहुत ज्यादा सेनेटाईजर की मांग हो रही थी.. ये शरीर में इस्तेमाल करने वाला सेनेटाईजर नहीं था.. ये छिटने वाला सेनेटाईजर था.. जनपद से सेनेटाईजर का किसी तरह का कोई भुगतान नहीं हुआ है.. और ना ही सोलर का.. जनपद उपाध्यक्ष द्वारा मुझे और मेरे पति को मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है.. उनकी मंशा गलत है.. कुछ चीज़ों में दवाब डाल रहे थे, ऐसा करेंगे वैसा करेंगे करके.. चुंकि उनकी सरकार है.. हमने गलत करने से मना कर दिया.. तो उन्होंने शिकायत का रास्ता निकाला है.. वहीं भर्राशाही को नहीं रोक पाने पर इस्तीफा देने के सवाल पर जनपद अध्यक्ष ने कहा कि देखिये इस्तीफा वाली बात ऐसा है कि वे दो से तीन जनपद में बैठक के दौरान बोल चुके है कि मैं इस्तीफा दूंगा.. लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया.. दूसरी बात सारे लोग पढ़े लिखे है.. समझदार है.. सभी अच्छा और बुरा जानते है.. सामान्य सभा की बैठक सभी अधिकारियों और सदस्यों के सामने होती है.. कोई छुप के बैठक नहीं होती.. सबको वहां पर अपनी बात रखने का अधिकार होता है. सम्बन्धित विभाग से भी चर्चा होती है.. अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि सारे विषयों पर चर्चा करते है.. यदि उनका कोई विरोध था तो वे तीन साल क्यों चुप बैठे… क्यों अपना विरोध दर्ज़ नहीं करवाए.. वो चाहे सामान्य प्रशासन में या फिर सामान्य सभा में हो.. ज़ब वे कह रहे है कि हमारी सरकार का छवि धूमिल हो रहा है, तो आये दिन देवभोग में उनके नेताओं का दौरा रहता था.. उस दौरान उन्होंने शिकायत क्यों नहीं किया.. इससे यही जाहिर होता है कि वे कहना कुछ चाहते है और करना कुछ.. उनके अंदर कुछ अलग चल रहा है.. वो क्या है मैं नहीं जानती.. मैं स्वयं चाहती हूँ जाँच हो.. जाँच होने से सब सामने आएगा.. यदि कुछ गलत है.. तो जांच हो जाये.. तिरुपति ज्वेलर्स का तो पंचायत में कोई काम नहीं है.. एक भी बिल निकाल के दिखा दे, कहा हम भवन निर्माण में सोना चिपकाये है.. या चांदी चिपकाये है.. या बिल दिए है.. बालाजी एजेंसी रजिस्टर्ड फॉर्म है, फर्जी फॉर्म नहीं है…

मामले में सीईओ मनहर लाल मंडावी ने कहा कि मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप झूठे और बेबुनियाद है… जो भी काम जनपद में हुए है.. नियम से हुए है…

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