पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का निधन, 90 वर्ष की उम्र में जीवन यात्रा का अंत

इंदिरा–राजीव के सबसे भरोसेमंद नेताओं में थे शामिल
दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और देश के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह 6:30 बजे लातूर स्थित अपने घर देवघर में निधन हो गया।
90 वर्ष के पाटिल बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे और वहीं उनका उपचार चल रहा था। परिवार में उनके बेटे शैलेश, बहू अर्चना और दो पोतियां हैं। अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा।
शिवराज पाटिल भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली और संतुलित व्यक्तित्व माने जाते थे। वे लातूर लोकसभा सीट से सात बार सांसद रहे और उन्हें इंदिरा गांधी व राजीव गांधी का सबसे भरोसेमंद सहयोगी माना जाता था। 1980 के दशक में वे दोनों सरकारों में रक्षा मंत्री रहे।
पाटिल ने 1991 से 1996 तक लोकसभा के 10वें स्पीकर के रूप में कार्य किया। 2004 से 2008 तक वे देश के गृह मंत्री रहे, लेकिन 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। हमलों के दौरान बार-बार ड्रेस बदलने को लेकर वे आलोचना के केंद्र में भी रहे।
राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने 1966 में लातूर म्युनिसिपैलिटी के प्रेसिडेंट के रूप में की। बाद में विधायक बने और महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर व स्पीकर जैसे पद संभाले। वे राज्यसभा सदस्य, पंजाब के गवर्नर और 2010–2015 तक चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर भी रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक जताया और लिखा कि पाटिल समाज की भलाई के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने हाल ही में पीएम से मुलाकात भी की थी।
शिवराज पाटिल की आत्मकथा ओडिसी ऑफ माय लाइफ चर्चा में रही थी क्योंकि इसमें उन्होंने 26/11 हमलों का उल्लेख नहीं किया। 2022 में गीता और कुरान की तुलना को लेकर दिए गए उनके बयान ने भी बड़ी बहस छेड़ी थी। भारतीय राजनीति में एक लंबी और निर्णायक भूमिका निभाने वाले शिवराज पाटिल अब सिर्फ स्मृतियों में रहेंगे।



