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रायपुर के उद्योगपति पर विस्थापितों की जमीन हड़पने का आरोप, विधायक मंडावी ने की जांच की मांग

बीजापुर। सलवा जुडूम के दौरान विस्थापित हुए पांच परिवारों की 127 एकड़ पैतृक भूमि पर कब्जे का गंभीर आरोप सामने आया है। रायपुर के उद्योगपति महेंद्र गोयनका पर इन जमीनों को धोखे से अपने नाम कराने का आरोप लगा है। बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने इसे सुनियोजित जमीन घोटाला बताते हुए सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

मंडावी ने प्रेसवार्ता में बताया कि भैरमगढ़ राहत शिविरों में रह रहे इन विस्थापित परिवारों को जमीन बिक्री की कोई जानकारी नहीं थी। बावजूद इसके, उद्योगपति ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से जमीन अपने नाम दर्ज करा ली। उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्काल जांच कर जमीनें मूल मालिकों को लौटाई जानी चाहिए।

विधायक के मुताबिक कुल 127 एकड़ भूमि पर विवाद है, जिसमें ग्राम धर्मा के चेतन नाग (12 एकड़), ग्राम बैल के घस्सू राम (29 एकड़) और पीला राम (18 एकड़), ग्राम छोटेपल्ली के लेदरी सेठिया (40 एकड़) तथा ग्राम मरकापाल के बीरबल (10 एकड़) शामिल हैं।

मंडावी ने भाजपा की डबल इंजन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बस्तर की जल, जंगल और जमीन की खुली लूट जारी है। उन्होंने कहा, “उद्योगपतियों की नजर अब बस्तर की उपजाऊ जमीनों पर है, जिससे आदिवासी अस्मिता खतरे में है।”

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो कांग्रेस इस मुद्दे पर व्यापक जनआंदोलन शुरू करेगी। मंडावी ने कहा कि यह मामला केवल पांच परिवारों का नहीं, बल्कि पूरे बस्तर के विस्थापितों के अधिकार और न्याय से जुड़ा सवाल है।

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