रायपुर। राजधानी के भनपुरी स्थित पाठ्यपुस्तक निगम डिपो में बुधवार को बड़ा हंगामा हुआ, जब गरियाबंद और कांकेर जैसे दूर-दराज़ के जिलों से आए निजी स्कूलों के शिक्षक किताबों के वितरण में अनियमितताओं से परेशान हो गए। 80 से अधिक स्कूलों के शिक्षक सुबह 8 बजे से डिपो में डटे रहे, लेकिन किताबें तभी दी जा रही थीं जब हर एक पुस्तक को मोबाइल ऐप से स्कैन किया जाए। सर्वर बार-बार डाउन होने से स्कैनिंग में घंटों लग गए।
फिंगेश्वर से आए शिक्षक किशनलाल साहू ने बताया कि वे सुबह 10 बजे पहुंचे, लेकिन रात 10 बजे तक किताबें नहीं मिलीं। बिना छांव और पानी के जमीन पर बैठाकर स्कैनिंग करवाई जा रही थी। रात भर शिक्षकों ने वहीं गुजारी, फिर भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। कई स्कूल बिना किताब लिए लौट गए, जबकि दूर से आए शिक्षक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। भूखे-प्यासे शिक्षकों ने विरोध जताया, तो तहसीलदार और पुलिस मौके पर पहुंची और समझाइश देकर मामला शांत कराया।
सरकारी और निजी स्कूलों में भेदभाव का आरोप
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता आरोप लगाया कि सरकारी स्कूलों में किताबें सीधे भेजी गईं, जबकि निजी स्कूलों को परेशान किया जा रहा है। एसोसिएशन अध्यक्ष ने अशासकीय स्कूलों को किताबें अपने स्कूल में ले जाकर बारकोड स्कैन करने की सुविधा देने और वर्तमान छात्रों के हिसाब से पुस्तके देने की मांग की है। मांग पूरी नहीं होने पर घेराव की चेतावनी दी है।
सरकारी स्कूलों में भी नहीं पहुंची किताबे
रायपुर के कई प्रमुख स्कूलों जैसे जेएन पांडेय, सप्रे, गुढ़ियारी और आत्मानंद स्कूल में अभी तक बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं। शिक्षक पीडीएफ या पुरानी किताबों से पढ़ा रहे हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि 90 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में पुस्तकें पहुंच चुकी हैं और शेष स्कूलों में जल्द भेजी जाएंगी। बारकोड सिस्टम पारदर्शिता के लिए लगाया गया है।