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दिसंबर तक सुलझ सकता है छत्तीसगढ़–ओडिशा का महानदी जल विवाद

रायपुर। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच 1983 से चला आ रहा महानदी जल विवाद अब सुलझने की दिशा में बढ़ता दिख रहा है। 30 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और जल संसाधन विभाग के सचिवों की अहम बैठक हुई। इसमें दिसंबर 2025 तक समाधान निकालने का लक्ष्य तय किया गया।

बैठक में यह सहमति बनी कि दोनों राज्यों की तकनीकी समितियां सितंबर से हर सप्ताह बैठक करेंगी। इंजीनियर और विशेषज्ञों की ये टीमें विवाद के मुख्य बिंदुओं की पहचान करेंगी और आपसी सहयोग के लिए नया ढांचा तैयार करेंगी। अक्टूबर में मुख्य सचिवों की फिर बैठक होगी और अगर प्रगति सकारात्मक रही तो दिसंबर में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आमने-सामने मिल सकते हैं।

1983 से जारी विवाद

महानदी जल बंटवारे को लेकर यह विवाद 1983 से चला आ रहा है और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ ने अपनी सीमा में कई बैराज बनाकर हीराकुंड बांध में पानी का प्रवाह रोका है। जबकि छत्तीसगढ़ का कहना है कि वह केवल अपने हिस्से के जल का उपयोग कर रहा है। नई पहल से उम्मीद है कि महानदी बेसिन का संतुलित विकास हो सकेगा।

महानदी से जुड़े तथ्य

छत्तीसगढ़ का आरोप है कि हीराकुंड बांध का उपयोग ओडिशा सरकार औद्योगिक जरूरतों के लिए अधिक करती है, जबकि इसका मूल उद्देश्य सिंचाई और जल संरक्षण था। नई पहल से दोनों राज्यों के बीच सहयोग का नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है।

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