जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की तैयारी, जल्द शुरू होगा सांसदों का हस्ताक्षर अभियान

दिल्ली। केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर ली है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को बताया कि प्रमुख विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव का सैद्धांतिक रूप से समर्थन कर दिया है। जल्द ही सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र करने का अभियान शुरू किया जाएगा।
रिजीजू ने बताया कि सरकार ने अभी यह तय नहीं किया है कि यह प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा या राज्यसभा में। लोकसभा में ऐसे प्रस्ताव के लिए 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है और सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी आवश्यक है।
यह प्रस्ताव न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत संसद में लाया जाएगा। प्रस्ताव स्वीकार होने पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन करेंगे। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश, किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता को शामिल किया जाएगा।
हालांकि, रिपोर्ट में अभी तक जस्टिस वर्मा को दोषी नहीं ठहराया गया है। उनके सरकारी आवास पर नकदी मिलने की जांच रिपोर्ट केवल आगे की कार्रवाई के सुझाव के रूप में प्रस्तुत की गई है। यह प्रक्रिया संसद के आगामी मानसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त) के दौरान आगे बढ़ सकती है। इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।