“पूना मारगेम” से जनविरोधी माओवादी विचारधारा का खात्मा, बस्तर में हो रही शांति की स्थापना : सीएम साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में माओवाद का अंत अब वास्तविकता बनने की ओर है। राज्य सरकार की जनोन्मुख पहल “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” ने बस्तर अंचल में शांति, विकास और विश्वास का नया अध्याय लिखा है।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि कांकेर जिले में 21 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया है, जो प्रदेश की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की सफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि ये नक्सली अब विकास की मुख्यधारा में लौटकर समाज के निर्माण में भागीदार बनना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि माओवादी विचारधारा अब कमजोर पड़ रही है। युवाओं को यह समझ में आ गया है कि बंदूक नहीं, विकास ही भविष्य का सही रास्ता है। सरकार आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुनर्वास, प्रशिक्षण और सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है।
सीएम साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में विश्वास और सुरक्षा का माहौल बना है। इसी का परिणाम है कि माओवादी संगठन तेजी से समाप्ति की ओर हैं और बस्तर अब शांति, विकास और सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “डबल इंजन की सरकार” का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलमुक्त बनाना है। छत्तीसगढ़ इस दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है और आने वाले समय में बस्तर की पहचान हिंसा नहीं, बल्कि विकास और शांति से होगी।



