छत्तीसगढ़ में आज धूमधाम से मनाया जा रहा पोला तिहार, गांव से लेकर शहर तक दिखा उत्साह

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आज पारंपरिक पर्व पोला तिहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। गांव से लेकर शहर तक हर जगह उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। यह पर्व किसानों और बैलों को समर्पित होता है।
इस दिन किसान कृषि कार्य से विराम लेकर अपने बैलों को नहलाते, सजाते और उनकी पूजा करते हैं। घरों में बच्चे मिट्टी, लकड़ी और पीतल से बने बैलों की पूजा करते हैं और उनसे खेलते भी हैं। वहीं घरों में पारंपरिक व्यंजन ठेठरी, खुरमी और अईरसा बनाने की परंपरा भी निभाई जा रही है।
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व वृषभ पूजन दिवस कहलाता है। इस बार अमावस्या तिथि 22 अगस्त को दोपहर 11:37 से प्रारंभ होकर 23 अगस्त को सुबह 11:02 बजे तक रहेगी। शास्त्रों में इस दिन को कुशोत्पाटनी अमावस्या कहा गया है, जब ब्राह्मण देव और पितृ कार्यों के लिए कुश उखाड़ते हैं।
इस बार अमावस्या शनिवार को पड़ने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। इसे पितरों और शनि देव की उपासना से भी जोड़ा जाता है। श्रद्धालु शनि दोष निवारण के लिए सरसों तेल, काले तिल अर्पित कर रहे हैं। वहीं, पितृ दोष से पीड़ित लोग पीपल वृक्ष के नीचे दूध और तिल चढ़ाकर पितरों को स्मरण कर रहे हैं।
पोला पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि यह किसानों और बैलों के बीच अटूट संबंध का प्रतीक भी है। गांव-गांव में आज हर्षोल्लास का वातावरण है और लोग परंपराओं को निभाते हुए इस त्यौहार को मना रहे हैं।