रायगढ़। छह गांव के ग्रामीणों ने जंगल में हाथी के शावक के लिए छट्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें ढाई सौ से ज्यादा ग्रामीण शामिल भी हुए।
ग्रामीणों का मानना है कि छट्ठी कार्यक्रम करने के बाद हाथी संतुष्ट हो जाते हैं और नुकसान नहीं पहुंचाते। हाथी इस क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में चले जाते हैं। आदिवासियों की परंपरा और प्रकृति पूजा का कोई जवाब नहीं है।
रायगढ़ जिले के इन इलाकों में हाथियों के उत्पात से ग्रामीण परेशान
बता दें कि रायगढ़ जिले के लैलुंगा के करवारजोर, ढोर्रोबीजा, चिरईखार, टांगरजोर, बेस्कीमुड़ा में हाथियों का उत्पात लगातार जारी है। हाथियों ने कई घरों को नुकसान पहुंचाया है। हाथियों की मौजूदगी से ग्रामीण काफी परेशान रहते हैं। हाथियों से खुद को बचाने ग्रामीण रतजगा भी करते हैं। हाथियों के गांव आने के बाद घर छोड़कर सरकारी भवनों में पनाह भी लेनी पड़ती है। हाथी कभी भी गांव में आकर फसलों और मकानों को नुकसान पहुंचाते हैं। क्षेत्र में 35-40 से हाथी मौजूद हैं। इस बीच गांव में डेरा जमाए एक हथिनी ने शावक को जन्म दिया। आदिवासी अंचल के ग्रामीण इस खुशी को उत्सव के रूप में मना रहे हैं।