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Padma Shri Award: कभी स्कूली शिक्षा नहीं मिल पाई, फिर भी जाने जाते है ‘अक्षर संत’ के नाम से, जानिए देश के चौथे सबसे बड़े पुरस्कार से नवाजे जाने वाले हरेकाला हजब्बा के बारे में…..

नई दिल्ली।  हरेकाला हजब्बा को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री (Padma Shri Award) से नवाजा गया. संतरे बेचने वाले 68 वर्षीय हरेकाला को जब राष्ट्रपति भवन में ये सम्मान मिला तो दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. (Padma Shri Award)

 कर्नाटक के मैंगलोर शहर के रहने वाले हरेकाला हजब्बा एक संतरा विक्रेता हैं. उन्हें कभी स्कूली शिक्षा नहीं मिल पाई, लेकिन फिर भी वे ‘अक्षर संत’ के नाम से जाने जाते हैं. क्योंकि, हजब्बा ने संतरे बेचकर अपनी जमा पूंजी से गांव में एक स्कूल बनवाया, ताकि ग्रामीण बच्चे स्कूली शिक्षा हासिल कर सकें. नंगे पांव और धोती-शर्ट में जब वो पद्मश्री लेने पहुंचे तो सभी ने तालियां बजाकर उनका सम्मान किया.

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कैसे आया स्कूल खोलने का आइडिया?

दरअसल, एक बार हरेकाला हजब्बा से कुछ विदेशी टूरिस्ट्स ने अंग्रेजी में संतरों का दाम पूछ लिया था. लेकिन पढ़े-लिखे ना होने के कारण वह दाम नहीं बता पाए. हजब्बा ने कहा कि जिन फलों को मैं वर्षों से बेचता आ रहा हूं, उसका दाम तक नहीं बता पाने के कारण मुझे काफी शर्मिंदगी हुई. इसी के बाद उन्होंने गांव में स्कूल खोलने का फैसला किया, क्योंकि वहां कोई स्कूल नहीं था. साल 2000 में उनका सपना साकार हुआ. इसके लिए हजब्बा ने संतरे बेचकर पैसे जुटाए.

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निस्वार्थ सेवा का फल

हरेकाला हजब्बा को पद्मश्री (Padma Shri Award) मिलने पर ट्विटर पर यूजर्स ने जमकर रिएक्शन दिए. किसी ने इसे निस्वार्थ सेवा का फल बताया तो किसी ने ‘असली सम्मान बताया’. एक यूजर ने कहा- आपने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया.

पद्मश्री अवॉर्ड में शामिल हुए ये दिग्गज हस्तियां

सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत देश की कई दिग्गज हस्तियां राष्ट्रपति भवन में मौजूद थीं. इस दौरान 119 विभूतियां पद्म अवॉर्ड से सम्मानित की गईं, 7 को पद्मविभूषण दिया गया, 10 को पद्म भूषण और 102 लोगों को पद्मश्री सम्मान दिया गया

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