Raipur: रामविचार नेताम के यहां चोरी, सेरीखेड़ी और ASI की हत्या मामले में विपक्ष का हंगामा, जमकर हुई नारेबाजी

रायपुर। प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को शून्य काल के दौरान विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव लाया।
प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रखते हुए भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा ने राजधानी रायपुर में चाकूबाजी की बढ़ती घटनाओं का जिक्र किया और सेरीखेड़ी के ग्रामीणों पर हुए लाठीचार्ज का मामला उठाते हुए सत्तापक्ष को घेरा।
शर्मा ने कहा कि, वहां सिर्फ भाजपा के लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर उन्हें गैर जमानती धाराओं के तहत जेल भेजा गया है।
इसके बाद कुरूद विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश में जनता को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है। प्रदेश में राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम के यहां चोरी हो जाती है। महासमुंद में एएसआई विकास शर्मा की हत्या हो जाती है। चंद्राकर ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि कानून व्यवस्था के मामले में आप असफल हैं। पुलिस अपना मूल काम छोड़कर बाकी सारे के काम कर रही है। तब बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि नई राजधानी के सेरीखेड़ी में बसे 148 परिवारों को उजाड़ने की कोशिश की गई है। हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहार होली के दिन 1,458 परिवारों को नोटिस दिया गया। क्या होली के दिन किसी को नोटिस दिया जाता है? वह भी उजाड़ने की। वे सारे परिवार भयभीत थे। वो त्योहार मनाने से वंचित हो गए। उनके मन में डर और भय पैदा हो गया। इसके कारण से वे पैदल चलकर 20 किलोमीटर रायपुर पहुंचे। वे रायपुर में मुख्यमंत्री और कलेक्टर को ज्ञापन देना चाहते थे। लेकिन उन्हें लाठी और लात घूंसे मिले।
इसके बाद नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि ऐस 148 परिवारों को नोटिस दिया जाता है जो वहां वर्षों से काबिज हैं। वे अपने मकान को बचाने के लिए कलेक्टर और मुख्यमंत्री से मिलने आए थे। लेकिन उन पर लाठीचार्ज किया गया, बल्कि उनके ऊपर गैर जमानती धारा लगाकर जेल भेजा गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि है जिन्हें कानून का रक्षक माना जाता है, उस पर प्रहार किया जाता है। उसकी पीट-पीट कर हत्या हो जाती है। तो आप सोचिए कि आम आदमी कितना सुरक्षित होगा। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था बदहाल है, अराजकता है, यहां जमकर नशे का कारोबार हो रहा है।
पूरे प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं। इस विषय को लेकर सदन को सूचना दी गई है। लेकिन विपक्ष के कई विधायकों की दलीलों के बाद भी सभापति ने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया। जैसे ही सभापति ने इसकी घोषणा की, विपक्ष के सदस्यों ने जमकर हंगामा करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। तब सभापति ने 5 मिनट के लिए सदन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया।