एक देश-एक चुनाव से GDP में हो सकती है 1.5% की वृद्धि: JPC बैठक में विशेषज्ञों की राय

दिल्ली। संसद भवन एनेक्सी में बुधवार को ‘एक देश-एक चुनाव’ पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की छठी बैठक आयोजित हुई। इसमें 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह और अर्थशास्त्री प्रो. प्राची मिश्रा ने बताया कि अगर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो इससे देश की GDP में 1.5% की वृद्धि संभव है। यह लगभग ₹4.5 लाख करोड़ के बराबर होगी।
हालांकि विशेषज्ञों ने यह भी जोड़ा कि चुनावों के तुरंत बाद खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटा 1.3% तक बढ़ सकता है। बार-बार चुनावों से मैन्युफैक्चरिंग, टूरिज्म, कंस्ट्रक्शन और हेल्थ सेक्टर प्रभावित होते हैं, क्योंकि प्रवासी मजदूर अपने घर लौटते हैं। साथ ही, चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों की भागीदारी से स्कूलों में दाखिला 0.5% घटता है।
बैठक में JPC चेयरमैन पीपी चौधरी ने भी बताया कि बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में बाधा आती है। इसके अलावा, देश लगातार चुनावी मोड में रहता है, जिससे लोकलुभावन वादे बढ़ते हैं। 1986 के बाद हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव हुए हैं।
JPC की पिछली 5 बैठकों में कानूनी, न्यायिक और राजनीतिक विशेषज्ञों ने भी अपनी राय रखी है। पूर्व CJI चंद्रचूड़ और अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी जैसे दिग्गजों ने बिल को संवैधानिक रूप से वैध बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि एक देश-एक चुनाव न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभदायक होगा बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाएगा।