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बस्तर में अब विकास की नई सुबह, नक्सलवाद का अंत नजदीक

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में अब विकास की रौशनी फैल रही है। यह इलाका पहले नक्सल आतंक के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यहां शांति और तरक्की की बहार आ रही है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने 2026 तक बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। अब ढोल-नगाड़ों की थाप और उत्सवों की गूंज इस बात का संकेत है कि बस्तर बदल रहा है। मुख्यमंत्री का कहना है कि “लाल आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जारी है, और नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक बस्तर पूरी तरह से शांत न हो जाए।”

22 जून 2025 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस बार नक्सली बारिश में भी चैन से नहीं सो पाएंगे। सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं। इसी साल मई में अबूझमाड़ जंगल में 26 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिनमें माओवादी सरगना बसवराजू भी शामिल था, जिस पर 3 करोड़ का इनाम था।

आपका अच्छा गांव योजना गेमचेंजर

यह पहली बार हुआ कि इतना बड़ा माओवादी नेता मारा गया। इसके बाद 5 जून को 1 करोड़ का इनामी नक्सली सुधाकर भी मुठभेड़ में मारा गया। सरकार की “आपका अच्छा गांव” योजना भी गेमचेंजर बन रही है। नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा कैम्पों के आसपास 5 किलोमीटर क्षेत्र में गांवों को बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। साथ ही बच्चों को शिक्षा के लिए बिना ब्याज ऋण भी मिल रहा है।

438 नक्सली इनकाउंटर में ढेर

पिछले डेढ़ साल में 438 नक्सलियों को मार गिराया गया, 1515 गिरफ्तार हुए और 1476 ने आत्मसमर्पण किया। यह नतीजे दिखाते हैं कि बस्तर अब हिंसा से बाहर निकलकर विकास की ओर बढ़ रहा है। बस्तर का पूवर्ती गांव जो कभी नक्सलियों का गढ़ था, आज वहां सरकार की योजनाएं पहुँच रही हैं। अब बस्तर के लोग विकास और शांति की राह पर हैं। सरकार और सुरक्षा बलों की मेहनत रंग ला रही है और बस्तर में अब उजियारा लौट रहा है।

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