नक्सलियों ने माना: सोनू–सतीश के सरेंडर से हथियारों का संकट गहराया

जगदलपुर। नक्सली संगठन में अंदरूनी टूट अब खुलकर सामने आ गई है। सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने अपने आंतरिक बयान में स्वीकार किया है कि अक्टूबर और नवंबर महीने संगठन के इतिहास के सबसे भारी नुकसान वाले साबित हुए हैं। सिर्फ दो महीनों में 299 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और उनके साथ 227 हथियार भी पुलिस के हवाले हुए। इससे संगठन की लड़ाकू क्षमता पर सीधा असर पड़ा है।
सबसे बड़ा झटका 14 से 16 अक्टूबर के बीच लगा, जब शीर्ष नक्सली नेताओं सोनू और सतीश के नेतृत्व वाले ग्रुप ने सरेंडर कर 203 हथियार सौंप दिए। इसके बाद उत्तर बस्तर में 21 नक्सलियों ने 18 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया। नवंबर के पहले सप्ताह में गरियाबंद क्षेत्र से भी 7 नक्सलियों ने 6 हथियार जमा कराए। लगातार सरेंडर की इस लहर ने संगठन के हथियार और संसाधन दोनों मोर्चों को कमजोर कर दिया है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी के मुताबिक, ताजा रिपोर्टें बताती हैं कि नक्सलियों के भीतर असंतोष और विघटन तेजी से बढ़ा है। लगातार एनकाउंटर, शीर्ष लीडरों की मौत, सरेंडर और अब हथियारों की भारी कमी ने नक्सली संगठन को अस्तित्व संकट में पहुंचा दिया है। न उनके पास पहले जैसा नेतृत्व बचा है और न ही लॉजिस्टिक सपोर्ट, जिसके चलते वे बड़ी वारदातों को अंजाम देने की स्थिति में नहीं हैं।





