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छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’बिहान’ से आया रूख्मणी के जीवन में उजियारा, 15 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी से परिवार की संवारी जिन्दगी

धमतरी। आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत बरबांधा की रहने वाली रुख्मणी मरकाम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वर्ष 2018 से गठित जय बूढ़ादेव स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। ग्राम पंचायत बरबांधा जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर है तथा ब्लॉक मुख्यालय से 30 किलोमीटर है। रुख्मणी मरकाम वर्ष 2019 से बैंक सखी के रूप में कार्य करते हुए लेखापाल का दायित्व भी निर्वहन कर रही हैं और अपने आसपास क्षेत्र के लोगों को योजना का लाभ पहुंचा रही हैं। बैंक सखी के रूप में खास पहचान बनाने वाली श्रीमती रुख्मणी मरकाम छ.ग.राज्य ग्रामीण बैंक से जुड़कर कियोस्क के माध्यम से ग्रामीणों को कई सेवाएं मुहैया करा रही है। रुपयों का लेनदेन प्रधानमंत्री जनधन योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति योजना, वृद्धा पेंशन इत्यादि सेवाएं शामिल है। रुख्मणी मरकाम एम.ए. अंग्रेजी तक की पढ़ाई की है, जब समूह में जुड़ीं तब गृहणी थी। कुल 9 सदस्यों का संयुक्त परिवार मजदूरी और कृषि कार्य पर निर्भर थी। सकारात्मक सोच के चलते उन्होंने अपनी शिक्षा का लाभ लेते हुए बैंक सखी का कार्य शुरू किया।

रुख्मणी मरकाम गांव में रहकर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक का कियोस्क चलाती है और साथ ही सीएससी का चॉइस सेंटर भी चलाती है। पति का साथ मिलने से लोगों के घरों तक पहुंचकर गांव की महिलाओं को बैंक की तरह धन मुहैया कराती है। जब जन धन योजना के तहत हितग्राहियों के खाते में जमा राशि को लोगों को उपलब्ध कराना तब उन्होंने घर-घर जाकर यह राशि महिलाओं को प्रदान की। 3000 से अधिक ई-श्रम कार्ड, प्रतिमाह लगभग 50 पेंशनधारकों का भुगतान, 50 घरेलू गैस सिलेंडर का विक्रय, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत लगभग 1000 श्रमिकों का भुगतान, इसके अलावा पेनकार्ड, आयुष्मान कार्ड, बिजली बिल भुगतान, मोबाईल एवं डीटीएच रिचार्ज, ई-केवायसी इत्यादि सेवाओं का लाभ ग्रामीणों को दे रही है। इस तरह प्रतिमाह 15 से 20 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त हो रही है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रोक्तिमा यादव ने बताया कि रुख्मणी मरकाम बैंक सखी का कार्य करते हुए आत्मनिर्भर होकर काम कर रही है और अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। उनके काम को देखकर गांव की अन्य महिलाएं भी प्रभावित होती हैं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में समूह से जुड़ रही हैं। बैंक सखी रुख्मणी मरकाम ने इस उपलब्धि पर बताया कि- मैंने अपने शिक्षा का सदुपयोग करके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का जिम्मा लिया। इस कार्य में पति का भरपूर सहयोग मिल रहा है। आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ जीवन में उजियारा लाने में कारगर सिद्ध हुई है।

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