
रवि तिवारी@गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में किडनी प्रभावितों की मौत का सिलसिला जारी है. शुक्रवार रात को एक और किडनी रोगी की मौत हो गई. सुपेबेड़ा गांव की पहचान किडनी रोगियों के लिए जग जाहिर है. गांव में पिछले 12 सालों से किडनी के मरीजों की मौत होने का सिलसिला जारी हैं. शुक्रवार देर रात गांव के एक शिक्षक तुकाराम क्षेत्रपाल की मौत हो गई. तुकाराम क्षेत्रपाल किडनी के रोग से पीड़ित थे. गांव में किडनी की बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 79 हो गई है. किडनी प्रभावित सुपेबेड़ा गांव की अबतक ना तस्वीर बदली है और ना ग्रामीणों की तकदीर. ग्रामीण आज भी दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं.
गांव के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं. गांव के महेंद्र सोनवानी ने बताया कि शिक्षक तुकाराम क्षेत्रपाल पिछले चार साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। वही एम्स में उनका इलाज भी चल रहा था, परिजन कल देर रात उनको डिस्चार्ज करवाकर घर लाने की तैयारी में थे, इसी दौरान उनकी मौत हो गई। वही गरियाबंद के सीएमएचओ डॉक्टर एन आर नवरत्न ने बताया कि मरीज का पैराटोनियल डायलिसिस भी जारी था, उनके इलाज के लिए शासन स्तर से भी हर संभव प्रयास किया जा रहा था। वही एम्स में भी उनका इलाज जारी था।
सुपेबेड़ा में दूषित पानी की समस्या बरकरार…..
सुपेबेड़ा में काफी समय से दूषित पानी की समस्या बरकरार है. दूषित पानी पीकर लोग बीमार पड़ रहे हैं. ग्रामीण महेंद्र सोनवानी ने कहा कि पास के तेल नदी से पानी देने की घोषणा हुई थी, लेकिन आज तक तेल नदी का पानी नहीं मिला. इसलिए गांववाले दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. समस्या का समाधान शुद्ध पेयजल ही है. यहां बताना लाजमी होगा कि अभी हाल ही में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सुपेबेड़ा के दौरे पर पहुंचे थे,इस दौरान ग्रामीणों को उम्मीद थी कि नदी से पानी मिलने की उनकी महत्वपूर्ण मांग पूरी होगी, लेकिन मंत्री के द्वारा जल जीवन मिशन से पानी देने की बात कहने पर ग्रामीणों के उम्मीदों पर पानी फिर गया, फिलहाल ग्रामीण अभी भी तेल नदी से पानी दिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। गांव की सरपंच चंद्रकला मसरा ने भी कहा कि गांव के लिए नदी का शुद्ध पेयजल दिया जाना अतिआवश्यक है। सरपंच के मुताबिक स्वास्थ मंत्री के दौरे के दौरान पूरे गांव के लोगों को उम्मीद थी कि नदी से पानी देने का सरकार का वादा स्वास्थ मंत्री पूरा करके जाएंगे, लेकिन मंत्री जी के द्वारा यू टर्न लेकर जलजीवन मिशन से पानी देने की बात कहकर चले जाने से ग्रामीणों में शुद्ध पेयजल को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गईं है।