अंकित सोनी@सूरजपुर। किसी भी प्रदेश के लिए पर्यटन आय का एक विशेष जरिया होता है। साथ ही प्रदेश के विकास में भी ऐसे पर्यटक स्थल अपनी सहभागिता रखते हैं। इस कारण से प्रत्येक राज्यों में पर्यटन विभाग मौजूद होता है। जहां से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए का प्रावधान प्रत्येक बजट में किया जाता है, ताकि पर्यटकों को यह क्षेत्र अपनी ओर आकर्षित करें। ऐसा ही एक पर्यटक स्थल सूरजपुर केनापारा में भी मौजूद है। जहां बड़ी संख्या में सैलानी घूमने के लिए जाना पसंद करते हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी के कारण यहां लगातार अब सैलानियों का आना दिनों-दिन कम होता जा रहा है।
प्राकृतिक सुंदरता इस जगह की ऐसी की किसी का कभी मन मोह ले यह नजारा है। सूरजपुर के एसईसीएल क्षेत्र बिश्रामपुर में स्थित केनापारा पर्यटन स्थल का। जिसकी तारीफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक कर चुके हैं। दरअसल तत्कालीन कलेक्टर के.सी देवसेनापति के समय प्रशासन ने पहल करते हुए एसईसीएल के सहयोग से केनापारा में बंद पड़ी कोयला खदान को डेवलप करके उसे सरोवर में तब्दील करते हुए पर्यटकों को लुभाने के लिए वहाँ वोटिंग फेसिलिटी के साथ ही फोल्टिंग रेस्टोरेंट और पार्क बनाकर तैयार किया गया था। इस जगह पर घूमने के लिए वैसे तो सैलानी सारा दिन आते थे, लेकिन यहां शाम के समय पानी के ऊपर बैठकर फ्लोटिंग रेस्टोरेंट पर चाय का आनंद हर कोई लेना चाहता था,,, साथ साथ ही यहां का नजारा शाम और रात के समय बेहद ही खुशनुमा होता है। लेकिन आसपास ठहरने की व्यवस्था न होने के कारण सैलानियों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ता था,,, जिसको देखते हुए यहाँ पर्यटकों के विश्राम करने के लिए श्रीनगर के डल लेक की तर्ज पर सरोवर के किनारों पर सुविधाओं से परिपूर्ण मोटलों का भी निर्माण कराया गया था, ताकि यहां पर पहुँचने वाले सैलानी इन मोटलों की बुकिंग कर खुशनुमा शाम के नजारे का आनंद ले सकें। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण करोड़ों की लागत से बनकर तैयार हुए यह मोटल बनने के साथ ही अब खंडहर में तब्दील हो चुके है जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
केनापारा पर्यटन स्थल से बेख़ौफ़ होकर चोरों द्वारा सामानों की चोरी कर लेना जहां पुलिस के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है । वही लोकार्पण से पूर्व ही ठहरने के लिए बनाए गए कमरों की दशा देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शासकीय पैसों का जिले में किस प्रकार से सम्बन्धित अधिकारी बंदरबाट करने पर लगे हुए। बहरहाल अब यह देखने वाली बात होगी कि जिला कलेक्टर रोहित व्यास के संज्ञान लेने के बाद इन बनाए गए मोटलों का जीणोद्धार कब तक हो पता है ।