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जनगणना 2027: प्रति व्यक्ति खर्च 82 रुपए, पहली बार पूरी तरह डिजिटल और जाति गणना शामिल

दिल्ली। भारत में 2026-27 में होने वाली जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी और इसमें प्रति व्यक्ति खर्च 82 रुपए तक पहुँच जाएगा। यह खर्च 2011 में केवल 18 रुपए था और 2021 की टली हुई जनगणना के लिए 64 रुपए प्रति व्यक्ति का बजट तय किया गया था। केंद्र सरकार ने 2027 की जनगणना के लिए कुल 11,718.24 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।

जनगणना दो चरणों में होगी। पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच मकानों की सूची और हाउसिंग डेटा एकत्र करने का होगा, जबकि दूसरा चरण फरवरी 2027 में जनसंख्या की गिनती का होगा। 1 मार्च 2027 को पूरे देश में गिनती के लिए रेफरेंस डेट तय की गई है। हिमाचल, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के बर्फीले इलाकों में यह प्रक्रिया सितंबर 2026 में पूरी होगी, जिसमें 1 अक्टूबर को रेफरेंस डेट मानी जाएगी।

जनगणना 2027 में जाति जनगणना भी होगी। 16 जून 2025 को केंद्र ने जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया था। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जिसमें सामाजिक-आर्थिक और SC-ST आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी। 2011 के फॉर्म में 29 कॉलम थे, जिसमें नाम, पता, शिक्षा, व्यवसाय, रोजगार और माइग्रेशन जैसी जानकारियाँ शामिल थीं। SC और ST का डेटा शामिल था, लेकिन OBC की गिनती के लिए जनगणना एक्ट 1948 में संशोधन करना होगा। 2011 में SC आबादी 16.6% और ST 8.6% थी।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लगातार जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं। सरकार ने जातियों की सूची बनाने और सर्वदलीय बैठक में सहमति लेने की योजना बनाई है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की सही गिनती हो।

जनगणना का पहला फेज 30 दिनों में पूरा किया जाएगा और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश इसकी टाइमलाइन तय करेंगे। डिजिटल जनगणना और विस्तारित डेटा संग्रह के कारण खर्च में बढ़ोतरी हुई है, जिससे प्रति व्यक्ति लागत 82 रुपए तक पहुंच गई है।

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