मनीष सवरैया@महासमुंद। मेडिकल कॉलेज की एक अपनी हो अलग कहानी है। जब यह अस्पताल सौ बिस्तर था। तब भी रिफर सेंटर के नाम से जाना जाता था और मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भी रिफर सेंटर के नाम से ही जाना जा रहा है। महासमुंद जिले की जनता का दुर्भाग्य है कि शासन-प्रशासन से मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं में से एक चिकित्सा के लिए आज भी वहां के लोगों को तरसना पड़ रहा है।
तीन साल पहले मिला 100 बिस्तर अस्पताल का दर्जा
महासमुंद जिले के 100 बिस्तर अस्पताल को मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिले 3 साल लगभग पूरे हो गए हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज में होने वाली सुविधाएं आज भी शून्य के बराबर ही है। जिला मेडिकल कॉलेज अब तक कोई भी समान (इक्यूपमेंट) नहीं खरीद पता है। हालांकि शासन ने मेडिकल कॉलेज को 2022- 23 और 2023-24 में 50
-50 लाख का बजट दिया है, और इस बजट से अब तक एक भी इक्यूपमेंट नहीं खरीदा जा सका है,
क्यों नहीं हो रहा बजट पर खरीदी
महासमुंद मेडिकल कॉलेज को अब तक एक करोड़ रुपए का बजट मिल चुका है। सरकार की एक एजेंसी सीजीएमएससी है, जो सरकार के हिसाब से काम करती है। जिला मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक ने एक करोड़ रुपए के बजट में जो मुख्य इक्यूपमेंट मशीन चाहिए। वह लिख कर प्रपोजल बनाकर सीजीएमएससी को भेज दिया, लेकिन वह मशीनें दे ही नहीं रही है। क्यों नहीं दे रही है इस बात का जवाब मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के पास भी नहीं है। मेडिकल कॉलेज लगातार इस विषय पर पत्राचार कर रही है, लेकिन सुनवाई कुछ नहीं हो रही है। लिहाजा आज भी जिला मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वालों को रायपुर राजधानी के अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
जिले को नहीं मिला स्टाफ
जो स्टॉफ मेडिकल कॉलेज को मिला है, उस पर पिछले तीन साल अब तक कोई भर्ती नहीं हो पाई है। जिस वजह से जिला मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर, नर्स, वार्ड ब्वॉय, स्टाप नर्स, किए तरसना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज के लिए 616 पद चाहिए। जिसमें 545 की भर्ती की स्वीकृति मिली है। जिसकी भर्ती अब तक पिछले तीन साल में नहीं हो गई है।
जिला मेडिकल कॉलेज को विटी मशीन, सी आर्म, आर्थोपेडी मशीन, सोनो ग्राफी के साथ काम करने वाले डॉक्टर, इंडोस्कोप मशीन चाहिए। जिला मेडिकल कॉलेज में 108 डॉक्टर सृजन हुआ है पर सिर्फ 98 काम पर हैं। सीआर डॉक्टर आवश्यकता है जो रात में भी काम करें। पर अब तक मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है।
किस तरह के मरीजों का इलाज
महासमुंद मेडिकल कॉलेज में सिर के चोट के केश के इलाज नहीं हो पाते हैं। इसके अलावा मल्टी फेक्चर का इलाज नहीं हो पाता है। वजह है मशीनों की कमी, जिसकी वजह से महासमुंद मेडिकल कॉलेज से मरीजों को रायपुर के अस्पतालों में रेफर किया जाता है। सिर और मल्टी फेक्चर के कई मरीजों की समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत हो रही है।