मौलाना मदनी ने मोहन भागवत के सुझाव का किया समर्थन, काशी-मथुरा पर बातचीत को बताया सही कदम

दिल्ली। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों का स्वागत करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय और आरएसएस के बीच संवाद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मतभेद भले हों, लेकिन बातचीत से उन्हें कम किया जा सकता है। हम हर तरह की बातचीत के प्रयासों का समर्थन करेंगे।

मथुरा और काशी विवाद पर भागवत के रुख का उल्लेख करते हुए मदनी ने कहा कि इस तरह की पहल को मान्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि राम मंदिर आंदोलन ही एकमात्र ऐसा मुद्दा था, जिसे संघ ने आधिकारिक समर्थन दिया था। हालांकि, उन्होंने माना कि सदस्यों को हिंदू होने के नाते काशी और मथुरा आंदोलनों से जुड़ने की छूट रही है।

मदनी ने कहा कि भारत में इस्लाम की उपस्थिति स्थायी है। जनसंख्या असंतुलन के लिए धर्मांतरण और अवैध घुसपैठ जिम्मेदार हैं। उन्होंने देश की राजनीति में संवाद की गिरती गुणवत्ता पर चिंता जताई और कहा कि राजनीतिक दल आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले की साजिश नाकाम करने का श्रेय नागरिक समाज को दिया। साथ ही कहा कि विदेशी नैरेटिव के विपरीत, वह भारत में मुसलमानों के नरसंहार की आशंका पर विश्वास नहीं करते।

मदनी ने अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया, लेकिन असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि सरमा हर मुसलमान को बांग्लादेशी बता रहे हैं, जो गलत सोच को दर्शाता है। इस प्रकार, मदनी ने स्पष्ट किया कि बातचीत और समझदारी ही संवेदनशील धार्मिक मुद्दों का सही समाधान है।

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