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कोपरा जलाशय बना छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट, जैवविविधता संरक्षण को मिली वैश्विक मान्यता

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि बिलासपुर जिले के कोपरा जलाशय को छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट घोषित किया जाना पूरे प्रदेश के लिए गर्व का क्षण है।

यह उपलब्धि राज्य की समृद्ध जैवविविधता, दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के प्राकृतिक आवास और सतत जल-संरक्षण के क्षेत्र में किए गए प्रयासों को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता का प्रतीक है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ को वैश्विक पर्यावरण मानचित्र पर एक नई पहचान देती है।

मुख्यमंत्री साय ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, पर्यावरण विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों के समन्वित प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कोपरा जलाशय को यह दर्जा प्राप्त होना सभी के सामूहिक सहयोग, वैज्ञानिक प्रबंधन और दीर्घकालिक संरक्षण दृष्टि का परिणाम है।

मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि कोपरा जलाशय को रामसर मान्यता मिलना “छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047” के उस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक प्रदेश के 20 प्रमुख वेटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाई जानी है। यह उपलब्धि राज्य की पर्यावरण नीति को मजबूती देते हुए वेटलैंड संरक्षण के लिए नई दिशा प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा कि इस मान्यता से प्रदेश में इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। साथ ही, वेटलैंड संरक्षण, जल-संरक्षण और जैवविविधता के प्रति जन-जागरूकता में भी बड़ा इजाफा होगा। यह उपलब्धि भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

मुख्यमंत्री साय ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे कोपरा जलाशय सहित राज्य के अन्य वेटलैंड्स की रक्षा, संरक्षण और संवर्धन में सक्रिय योगदान दें। उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षण केवल सरकार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है और सामूहिक प्रयासों से छत्तीसगढ़ सतत विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।

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